Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

किसानों ने पराली की गेंद फेंकी सरकार के पाले में

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के एक दिन बाद...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

चंडीगढ़, 22 नवंबर (एजेंसी)

पंजाब में किसान नेताओं ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार पर पराली प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का नहीं बल्कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण एवं औद्योगिक प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारों को मक्का एवं दालों जैसी वैकल्पिक फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय कर देना चाहिए जिससे उत्पादक पानी की अधिक खपत करने वाली धान की फसल के बजाय वैकल्पिक फसलें चुनें। उन्होंने कहा कि धान पंजाब की मूल फसल भी नहीं है।

Advertisement

किसान नेताओं का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा पराली जलाने से जुड़े एक मामले की सुनवाई पर की गयी टिप्पणी के एक दिन बाद आया। न्यायालय ने कहा था कि किसानों को ‘खलनायक’ बनाया जा रहा है और उनकी बात भी नहीं सुनी जा रही है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह भी सुझाव दिया था कि पराली जलाने वाले किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली के तहत खरीदारी नहीं करनी चाहिए क्योंकि प्रदूषण के कारण नागरिक और बच्चे प्रभावित होते हैं। भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने बुधवार को कहा, ‘पराली प्रबंधन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनरी दिए जाने के साथ किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।’ कोकरीकलां ने सवाल उठाया कि दिल्ली के मुकाबले पंजाब के उस क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक कैसे बेहतर हो सकता है जहां पराली जलाई जा रही है। उन्होंने कहा, ‘जो किसान पराली जलाते हैं उन्हें एमएसपी का लाभ नहीं दिया जाए। लेकिन जिन कारखानों से धुआं निकलता है उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।’ भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा, ‘पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।’

दिल्ली में वायु प्रदूषण से कोई राहत नहीं

नयी दिल्ली : पूरे राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को वायु गुणवत्ता की स्थिति फिर खराब रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। कई इलाकों में एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। हवा की अनुकूल स्थिति के कारण प्रदूषण के स्तर में सुधार के मद्देनजर केंद्र ने शनिवार को सार्वजनिक निर्माण से संबंधित एवं निर्माण कार्य पर प्रतिबंध तथा दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर रोक सहित कड़े प्रतिबंध हटा लिए थे, जिसके बाद से एक्यूआई के स्तर में वृद्धि हुई है। ये उपाय केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के अंतिम चरण- चार के अंतर्गत आते हैं, जिसे ‘ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान’ यानी क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) कहा  जाता है।

Advertisement
×