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किसानों का जोरदार प्रदर्शन, पुलिस रोकों को किया दरकिनार

नेताओं की रिहाई की मांग, भूमि सीमांकन कानून को लागू करने का विरोध
संगरूर में शुक्रवार को हुए विरोध मार्च में शामिल किसान-मज़दूर संगठन के सदस्य। -निस
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संगरूर की अनाज मंडी से बरनाला कैंचियां तक किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं और विभिन्न जन संगठनों ने जोरदार मार्च निकाला। यह प्रदर्शन भूमि संघर्ष के दौरान गिरफ्तार किए गए नेताओं की रिहाई, भूमि सीमांकन कानून को लागू करने और सरकार द्वारा आंदोलन पर थोपे गए अघोषित प्रतिबंधों के विरोध में आयोजित किया गया।

पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधों को नजरअंदाज करते हुए प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर मार्च किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। रैली की शुरुआत भूमि संघर्ष समिति के वरिष्ठ नेता जगतार सिंह तोलेवाल को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखकर की गई, जिनका बुधवार रात निधन हो गया था।

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सभा को संबोधित करते हुए बीकेयू (उगराहां) के जोगिंदर उगराहां, कीर्ति किसान यूनियन के निरभय सिंह ढुडीके, भूमि संघर्ष समिति के गुरविंदर बौर, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन के लछमन सेवेवाला, ग्रामीण मज़दूर यूनियन के तरसेम पीटर, बीकेयू डकौंदा के कुलवंत सिंह किशनगढ़, और डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के विक्रमदेव ने कहा कि सरकार जन आंदोलनों को बलपूर्वक कुचलने पर तुली है। उन्होंने आरोप लगाया कि संघर्ष कर रहे सैकड़ों मज़दूरों को जेल में डाल दिया गया है, जिनमें कई प्रमुख कार्यकर्ता आज भी बंद हैं।

रैली को वीर सिंह बड़वा, रणवीर सिंह कुरार, अमन दियोल, लखवीर सिंह लोंगोवाल, हरिंदर कौर बिंदु, अवतार सिंह कौरजीवाला, बलजीत सिंह नमोल और अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया। मंच संचालन धर्मवीर हरिगढ़ ने किया।

‘कॉरपोरेट और जमींदार वर्ग को सरकार दे रही बढ़ावा’

नेताओं ने राज्य सरकार पर कॉरपोरेट और जमींदार वर्ग के हितों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस को मिली छूट के चलते अब फर्जी मुठभेड़, हिरासत में हत्याएं और नशे के खिलाफ अभियान की आड़ में गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाना आम हो गया है। सभा के अंत में गांव जाहलां के किसानों की जमीन की जब्ती के खिलाफ, लैंड पूलिंग नीति को रद्द करने और किसान नेता निर्भय सिंह खाई पर हमले के दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए।

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