किसानों ने 16 जिलोंमें लगाये मोर्चे
पंजाब सरकार के खिलाफ डीसी कार्यालयों के सामने पांच दिवसीय रोष प्रदर्शन शुरू
बठिंडा/संगरूर, 6 फरवरी (निस)
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) ने कृषि मुद्दों को लेकर पंजाब सरकार के खिलाफ संघर्ष के पहले चरण में जिला स्तर पर पांच दिवसीय मोर्चे शुरू कर दिए हैं। संगठन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने कहा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद पहले दिन 16 जिलों में सैकड़ों महिलाएं, युवा और हजारों कृषि श्रमिक मोर्चे में शामिल हुए।
जगह-जगह संबोधित करने वाले वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि किसानों की पीठ में छुरा घोंपने के लिए आप सरकार द्वारा किसान हितैषी कृषि नीति बनाने का वादा और ज्वलंत कृषि मुद्दों पर आपराधिक चुप्पी के खिलाफ कड़ा मोर्चा खोला जाना चाहिए। भाकियू एकता उगराहां की प्रदेश कमेटी के आह्वान पर बठिंडा की ओर से डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के सामने पांच दिवसीय दिन-रात धरना शुरू किया गया है। किसानों ने रात के लिए तंबू और लंगर लगाने की व्यवस्था कर ली है। आज के धरने को संबोधित करते हुए प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष झंडा सिंह जेठूके, जिला अध्यक्ष शिंगारा सिंह मान, महासचिव हरजिंदर सिंह बग्गी और महिला संगठन की नेता हरिंदर बिंदू ने कहा कि यह धरना पंजाब सरकार से संबंधित मांगों को मानने और लागू करने के लिए किया गया है। पंजाब सरकार के वादे के मुताबिक 21 जनवरी तक पंजाब के लिए नई किसान हितैषी कृषि नीति बनाने का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। किसानों की मांग है कि कृषि संबंधी मुद्दों का समाधान किया जाए और कृषि क्षेत्र को विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक और कॉरपोरेट्स के चंगुल से मुक्त कराया जाए। इसके अलावा उन्होंने अन्य मांगों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भूमिहीन, गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए सस्ते सरकारी कृषि ऋण की व्यवस्था की जाए। किसानों और मजदूरों के ऋण माफ किए जाएं, किसान हितैषी ऋण कानून बनाया जाए, सूदखोरी खत्म की जाए। हर खेत तक नहर का पानी पहुंचाया जाए, जल प्रदूषण और धान की खेती का रकबा सुनिश्चित किया जाए। फसलों के उत्पादन और खरीद को सुनिश्चित करने के लिए कानून लाया जाना चाहिए। कृषि व्यवसाय से बाहर किसानों और खेतिहर मजदूरों के परिवार के सदस्यों के लिए लाभकारी रोजगार सुनिश्चित किया जाना चाहिए और बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं, कीटनाशकों, मिलावटी सामान या फसलों के लिए कृषि दुर्घटनाओं और बीमारियों के खतरे से जूझ रहे किसानों को बचाने के लिए किसान हितैषी कृषि नीतियों के लिए बड़े बजट की पूंजी एकत्र की जानी चाहिए और इस उद्देश्य के लिए सूदखोरों और कॉर्पोरेटों पर कर नीति तय की जानी चाहिए। इसके अलावा मांगों में गैस पाइपलाइन के लिए जमीन का मुआवजा, सड़क के लिए अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा, नष्ट हुई फसल का मुआवजा शामिल है।
संगरूर में सभा को संबोधित करने वाले अन्य मुख्य वक्ताओं में झंडा सिंह जेठूके, शिंगारा सिंह मान, रूप सिंह छन्नन, हरदीप सिंह टल्लेवाल, जनक सिंह भुटाल, जगतार सिंह कालाझर, हरिंदर कौर बिंदू कमलजीत कौर बरनाला, कुलदीप कौर कुस्सा और जिला/ब्लॉक स्तर के स्थानीय नेता शामिल थे।