वीरेन्द्र प्रमोद/निस
लुधियाना, 20 मार्च
पंजाब के सबसे बड़े प्रमुख औद्योगिक शहर लुधियाना से आम आदमी पार्टी के पंजाब में पहले मंत्रिमंडल में किसी भी विधायक को मंत्री न बनाने से यहां जनता, व्यापारियों और उद्योगपतियों में भारी निराशा फैल गयी है। मजे की बात ये है कि जिला की 14 सीटों में से 13 पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ही चुनाव जीते हैं। दो पर कांग्रेस, चार पर भाजपा और एक पर अकाली दल के प्रत्याशियों की जमानतें जब्त करवाकर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जीते हैं। जिला में केवल दाखा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व मतदाताओं ने अकाली दल को दिया है। प्रमुख कांग्रेस नेता परमिंदर सिंह ने कहा है कि लुधियाना शहर पंजाब की वित्तीय राजधानी के नाम से जाना जाता है। दिल्ली को छोड़ यह शहर उत्तर भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक शहर होने के कारण इसको मानचेस्टर आफ इंडिया भी कहा जाता है। प्रमुख समाज सेवी पवन शर्मा ने कहा कि यह पहला अवसर है कि जिले के एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। पिछले कांग्रेस मंत्रिमंडल में लुधियाना जिला के भारत भूषण आशू और आतंकियों की गोली का शिकार हुए मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह के पौत्र गुरकीरत सिंह कोटली मंत्री थे। राजस्व के क्षेत्र में भी इस जिला की सरकारी खजाने को बहुत देन रही है। पंजाब के पुर्नगठन के बाद तीन मुख्यमंत्री -जिनमें पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज गुरनाम सिंह, लक्ष्मण सिंह गिल और बेअंत सिंह शामिल हैं, भी इसी जिला से संबंधित हैं। भगवंत मान मंत्री परिषद में विस्तार से पूर्व सभी यह मान कर चल रहे थे कि यदि किसी और को नहीं तो जिला के जगरांव शहर की आप की विधायक श्रीमती सर्वजोत कौर माणुके, जो पिछली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की उपनेता भी थी, को अवश्य मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी मगर ऐसा न होने से सभी निराश हैं। इस पर अपनी प्रतिक्रिया में विधायक माणुके ने कहा ‘मंत्रिपरिषद में शामिल न होने पर वह निराश नहीं हैं, शायद पार्टी आलाकमान ने कुछ सोच-समझकर ही फैसला लिया होगा। वह पार्टी की वफादार थीं, हैं और रहेंगी।’