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सतलुज में बढ़ा खतरा : बाढ़ के डर से घर छोड़ने को मजबूर बेला गांव, सिर पर सामान, आंखों में चिंता

सतलुज के किनारे बसे बेला गांवों में मंगलवार की सुबह उम्मीद नहीं, बल्कि भय लेकर आई। भाखड़ा बांध का जलस्तर खतरे की सीमा पर पहुंचते ही जिला प्रशासन ने गांव खाली कराने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही गांवों की...
रोपड़ : सतलुज के उफान से घिरे बेला गांवों के ग्रामीण सिर पर सामान उठाए सुरक्षित ठिकानों की ओर जाते हुए। -ट्रिब्यून फोटो
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सतलुज के किनारे बसे बेला गांवों में मंगलवार की सुबह उम्मीद नहीं, बल्कि भय लेकर आई। भाखड़ा बांध का जलस्तर खतरे की सीमा पर पहुंचते ही जिला प्रशासन ने गांव खाली कराने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही गांवों की गलियां बोझिल कदमों और रोती आंखों से भर गईं। किसी ने सिर पर घर का सामान रखा, किसी ने गोद में बच्चे उठाए, तो कोई अपने मवेशियों की रस्सी पकड़कर असमंजस में खड़ा रहा।

भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) ने दोपहर तक करीब 75 हजार क्यूसेक पानी सतलुज में छोड़ा। सुबह जलस्तर 1678 फीट पर पहुंच चुका था, जो अधिकतम सीमा 1680 फीट से केवल दो फीट कम था। 1988 की बाढ़ की त्रासदी आज भी बुजुर्गों की आंखों में तैर रही है, और अब वही भयावह दृश्य दोहराने का डर लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर कर रहा है।

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हरसा बेला, बेला रामगढ़, बेला धियानी (अपर-लोअर), सेंसोवाल, एलेगड़ा, बेला शिव सिंह, भलान, भानम, सिंहपुरा, प्लासी, तरफ मजारा और मजारी गांवों में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं। कई गांवों का संपर्क नदी के तेज बहाव से पहले ही कट चुका है। बच्चे अपने छोटे-छोटे बैग संभाले चल रहे हैं, महिलाएं रसोई के बर्तन और ज़रूरी सामान समेट रही हैं, जबकि बुजुर्ग घर की चौखट को आखिरी बार निहारते हुए भारी मन से निकल रहे हैं। सुबह तक भाखड़ा बांध में 86,822 क्यूसेक पानी की आमद और 65,042 क्यूसेक निकासी दर्ज हुई। उधर, पोंग डैम भी खतरे से ऊपर 1,393.19 फीट तक भर चुका है। यहां आमद 1,60,183 क्यूसेक और निकासी 79,637 क्यूसेक रही।

ग्रामीणों से अपील: तुरंत छोड़ें खतरे वाला इलाका

शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने वीडियो संदेश जारी कर ग्रामीणों से अपील की कि जिंदगी सबसे कीमती है, घर फिर से बनाए जा सकते हैं। आप सब तुरंत सुरक्षित स्थानों पर पहुंचें। प्रशासन ने विस्थापित परिवारों के लिए धर्मशालाओं और सरकारी इमारतों में अस्थायी ठहराव का इंतजाम किया है।

 

 

 

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