ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 8 जून। सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास में बुधवार को लाखों लोगों ने भाग लेकर उन्हें नम आंखों से याद किया। मानसा की अनाज मंडी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पंडाल काफी छोटा पड़ गया। मूसेवाला की अंतिम अरदास में जहां कई नेताओं ने उपस्थिति दर्ज करवाई वहीं आम लोग भारी संख्या में पहुंचे हुए थे। इस अवसर पर पंजाब की सरकार की तरफ से महिला एवं बाल विकास मंत्री बलजीत कौर, विधायक गुरप्रीत सिंह, नरिंदर कौर भराज, गुरमीत सिंह खुड्डियां तथा बलकार सिद्धू ने श्रद्धांजलि भेंट की। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के अलावा कांग्रेस के कई नेताओं ने सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास में भाग लिया।
इस मौके सिद्धू के पिता बलकौर सिंह और मां चरण कौर भावुक हो गए। पिता ने कहा कि मेरे बेटे ने किसी के साथ कुछ गलत नहीं किया। मुझे नहीं पता कि उसे क्यों मारा गया है। उन्होंने फैंस को भरोसा दिलाया कि अगले 5-10 सालों तक सिद्धू मूसेवाला की आवाज उनके कानों में गूंजती रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इंसाफ की लड़ाई जारी रहेगी। फिर भी मैं सरकार को वक्त देना चाहता हूं। पिता बलकौर सिंह ने बताया कि सिद्धू मूसेवाला का आम गांव वाले की तरह जीवन था। जब मूसेवाला नर्सरी में पढ़ता था तो गांव से बस तक नहीं जाती थी। साधन नहीं थे लेकिन फिर भी किसी न किसी तरह स्कूल भेजा। मैं फायर ब्रिगेड में था तो मूसेवाला को छोडऩे के चक्कर में एक बार ड्यूटी पर 20 मिनट लेट हो गया। इसके बाद मूसेवाला को कहा कि या तो तू पढ़ेगा या मैं नौकरी करूंगा। मूसेवाला ने ढाई साल की उम्र में सेकेंड क्लास से 24 किलोमीटर साइकिल से आना-जाना किया।
अब पछताने के अलावा कुछ नहीं : बलकौर
पिता बलकौर सिंह ने कहा कि 29 मई को मां गांव में किसी की मौत होने पर वहां गई थी। मैंने मूसेवाला को कहा कि मैं साथ चलता हूं। तब मैं खेत से आया था। मूसेवाला ने कहा कि आपके कपड़े गंदे हैं। मैं पांच मिनट में जूस पीकर वापस आता हूं। बलकौर सिंह ने कहा कि मैं सारी जिंदगी मूसेवाला के साथ रहा। आखिर में मैं पीछे रह गया। अब मेरे पास पछताने के सिवाय कुछ नहीं। मूसेवाला की मां चरण कौर ने कहा कि 29 मई को काला दिन चढ़ा और ऐसा लगा कि मेरा सब कुछ खत्म हो गया। आप लोगों ने दुख में साथ दिया तो लगा कि मूसेवाला मेरे ही आसपास है। हमारे हौंसले को इसी तरह बनाकर रखना। हर व्यक्ति मूसेवाला के नाम पर एक-एक पेड़ लगाएं। उसे छोड़े नहीं बल्कि पालकर बड़ा करें।