दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 10 मार्च
पंजाब में चरणजीत सिंह के नेतृत्व में 111 दिन चली कांग्रेस सरकार और पार्टी के बड़े बदलावों को लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया है। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी दोनों ही सीटों से चुनाव हार गए। उनकी कैबिनेट के भी 11 मंत्री इन चुनावों में ढेर हुए हैं। महज सात मंत्री ही फिर से विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं। पंजाब विधानसभा अध्यक्ष तक को हार का मुंह देखना पड़ा। बड़ी बात यह है कि आम लोगों ने ही दिग्गजों को पटकनी दी है।
पंजाब की सियासत को लेकर यह धारणा है कि आनंदपुर साहिब सीट से जो व्यक्ति विधायक बनता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है। इस बात पर इस बार भी मुहर लगी। आनंदपुर साहिब से विधानसभा स्पीकर राणा केपी को आप के हरजोत बैंस ने हराया है।
पंजाब में पिछले चुनावों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यहां शिक्षा मंत्री कभी दोबारा चुनाव नहीं जीते हैं। इस बार भी राजनीति के दिग्गज शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला चुनाव हार गए हैं। उन्हें चुनाव में हारने वाली आम आदमी पार्टी की नरिंदर कौर भराज ने स्कूटी पर ही चुनाव प्रचार किया है। चन्नी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे ओपी सोनी चुनाव हार गए हैं, जबकि दूसरे उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। कैप्टन अमरेंद्र व चन्नी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्म मोहिंद्रा के बेटे को इस बार पटियाला रूरल से टिकट दी थी, लेकिन वह भी सीट नहीं बचा सके। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कड़ी मेहनत के बावजूद चुनाव हार गए हैं। चौतरफा घिरे होने के बावजूद कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, अरूणा चौधरी, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, राणा गुरजीत सिंह चुनाव जीत गए हैं। नवजोत सिद्धू के समर्थन में चन्नी मंत्रिमंडल में शपथ लेकर कार्यभार नहीं संभालने वाली रजिया सुलताना भी चुनाव हार गई हैं। सुलताना के पति एवं सिद्धू के सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयानों को लेकर चर्चा में हैं। पंजाब पुलिस के एक अधिकारी तथा एक महिला कर्मचारी के साथ विवाद के चलते सुर्खियों में रहे कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु, रणदीप सिंह नाभा, राजकुमार वेरका, संगत सिंह गिलजियां तथा पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पौत्र गुरकीरत सिंह कोटली भी चुनाव हार गए हैं।
नवजोत सिद्धू के समर्थन में कई बार स्टैंड लेने वाले खेल मंत्री परगट सिंह तथा प्रचार के दौरान बठिंडा से जलालाबाद तक बादलों को हराने व परिवहन मंत्री होते हुए बादल परिवार की बसों को बंद करके सुर्खियों में आए अमरिंदर सिंह राजा वडिंग चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
बादल पिता-पुत्र, कैप्टन अमरेंद्र सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी सरीखे नेता नये चेहरों के सामने चित्त हो गए। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की तर्ज पर नये चेहरों पर दाव लगाया। जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया। पंजाब की राजनीति में बाबा बोहड़ के नाम से प्रसिद्ध पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल 11 हजार 396 वोट के अंतर से चुनाव हारे। बादल को आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुडियां ने हराया है। पंजाब में दो बार मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी इस बार चुनाव हार गए हैं। अमरेंद्र सिंह को आम आदमी पार्टी के अजीत पाल सिंह कोहली ने करीब 20 हजार वोटों से हराया। वहीं सुनाम से आप प्रत्याशी अमन अरोड़ा ऐसे हैं, जो 75 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीते हैं। हॉट सीट में शुमार अमृतसर पूर्वी से अकाली दल व कांग्रेस के दोनों दिग्गज चुनाव हारे हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू व अकाली नेता बिक्रम मजीठिया को आप की जीवनजोत कौर ने भारी अंतर से पटकनी दी है। पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद चन्नी सरकार द्वारा मंत्री नहीं बनाए जाने पर राणा गुरमीत सोढी ने सबसे पहले भाजपा का दामन थामा था। भाजपा ने उन्हें नये विधानसभा हलका फिरोजपुर कैंट से चुनाव मैदान में उतारा था, वह भी चुनाव हार गए हैं।
अकाली दल के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार एवं पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल अपने पारंपरिक हलके जलालाबाद में चुनाव हार गए। पंजाब के चर्चित चेहरों में से एक पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल इस बार भी विधानसभा नहीं पहुंच पाईं।
कलाकारों को रास नहीं आई कांग्रेस
पंजाब कांग्रेस ने अपने कई पुराने दावेदारों को दरकिनार करके मानसा विधानसभा क्षेत्र से सिद्धू मूसेवाला को टिकट दी थी। सिद्धू मूसेवाला ने गायिकी के क्षेत्र में तो नाम कमाया लेकिन राजनीति में लोगों ने उन्हें एंट्री नहीं दी। पंजाब में चुनाव से पहले चर्चा में आए फिल्म अभिनेता सोनू सूद की बहन भी चुनाव हार गई हैं। मोगा विधानसभा हलके में कांग्रेस ने सोनू सूद की बहन मालविका सूद पर दांव खेला। पूरा चुनाव प्रचार अभियान सोनू सूद ने संभाला हुआ था। काफी जद्दोजहद के बावजूद मालविका सूद भी चुनाव हार गई हैं।
सच हुई केजरीवाल की भविष्यवाणी
आम आदमी पार्टी सुप्रीमो एवं दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान अन्य पार्टियों के नेताओं के मुकाबले सबसे अधिक रैलियां की। केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान 14 फरवरी को एक सर्वे का हवाला देकर कहा था कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों हार रहे हैं। केजरीवाल को जब इस बयान पर कांग्रेस ने घेरा तो उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान सफेद कागज पर लिखकर एक टीवी चैनल को दिया था कि चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों से चुनाव हारेंगे।
किसान नेताओंं को लोगों ने नकारा
कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन से नेता बनकर सियासत में उतरे किसान संगठनों के नेताओं को भी पंजाब के लोगों से नकार दिया है। संयुक्त समाज मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने वाले किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल समेत लगभग सभी प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके हैं।
चन्नी ने बुलायी कैबिनेट बैठक, देंगे इस्तीफा
सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है। पहले यह बैठक चंडीगढ़ सचिवालय में होनी थी लेकिन अब यह बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगी। पंजाब में चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद चन्नी कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे। आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलने के बाद चन्नी ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। बैठक में चन्नी औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री का कार्यभार छोड़ेंगे। इसके बाद वे राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात कर अपना इस्तीफा देंगे।