Chandigarh PGI News : स्ट्रोक के इलाज में नया युग: पीजीआईएमईआर में उत्तर भारत का पहला लाइव थ्रोम्बोलिसिस सिमुलेशन
विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 17 फरवरी
Chandigarh PGI News : हर सेकंड महत्वपूर्ण होता है , खासतौर पर स्ट्रोक के मरीजों के लिए, जहां समय पर इलाज ही जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर तय करता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में आयोजित चौथी नेशनल क्रिटिकल केयर नर्सिंग कॉन्फ्रेंस में उत्तर भारत का पहला ‘लाइव स्ट्रोक IVT थ्रोम्बोलिसिस सिमुलेशन’ किया गया। यह ऐतिहासिक पहल नर्सिंग और चिकित्सा पेशेवरों को त्वरित और प्रभावी उपचार प्रक्रियाओं से अवगत कराने के लिए की गई। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक भविष्य में स्ट्रोक पीड़ित मरीजों की जान बचाने में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
लाइव सिमुलेशन: जीवन बचाने की दिशा में बड़ा कदम
इस विशेष सत्र के दौरान विशेषज्ञों ने लाइव प्रदर्शित किया कि स्ट्रोक के मरीज को समय रहते किस प्रकार IVT (इंट्रावेनस थ्रोम्बोलिसिस) दवा दी जानी चाहिए। यह दवा रक्त प्रवाह को सुचारू करने में मदद करती है और अगर स्ट्रोक के पहले 4.5 घंटे में सही तरीके से दी जाए, तो मरीज के ठीक होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में हर साल हजारों मरीज समय पर सही इलाज न मिलने के कारण अपंगता या मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में, इस तरह के लाइव सिमुलेशन से चिकित्सकीय दक्षता में सुधार होगा और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।
तीन महत्वपूर्ण कार्यशालाएं: व्यावहारिक प्रशिक्षण पर जोर
सम्मेलन के पहले दिन तीन विशेष कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनमें—
-पेरिऑपरेटिव केयर (सर्जरी से पहले और बाद की देखभाल)
-पीडियाट्रिक मेडिसिन केयर (बच्चों की आपातकालीन चिकित्सा)
-ट्रॉमा एवं डिजास्टर मैनेजमेंट (आपात स्थितियों में मरीजों की देखभाल)
जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन प्रशिक्षण दिया गया। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य नर्सिंग और चिकित्सा क्षेत्र में उन्नत तकनीकों को बढ़ावा देना और मरीजों की देखभाल को और अधिक प्रभावी बनाना था।
भविष्य की दिशा: उन्नत चिकित्सा तकनीकों की ओर बढ़ता कदम
इस सम्मेलन ने क्रिटिकल केयर नर्सिंग और चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों को नवीनतम तकनीकों, त्वरित निर्णय लेने की दक्षता और मरीजों की देखभाल में आधुनिक रणनीतियों को अपनाने का एक मजबूत मंच प्रदान किया। पीजीआईएमईआर की यह पहल न केवल स्ट्रोक के उपचार को बेहतर बनाएगी, बल्कि अन्य आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों में भी मरीजों को जीवनरक्षक देखभाल प्रदान करने में मददगार साबित होगी।