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Chandigarh News : PGI रागों की मिठास और तबले की थाप से सजी संगीत संध्या, दर्शकों ने तालियों से दी दाद

Chandigarh News : PGI रागों की मिठास और तबले की थाप से सजी संगीत संध्या, दर्शकों ने तालियों से दी दाद
Prof. Sanjay Jain, Dean Research, Chief Guest of the evening with the masters of Indian Classical music.pdf
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विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 14 फरवरी

Chandigarh News : भारतीय शास्त्रीय संगीत की मधुर लहरियों ने गुरुवार की शाम पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के भार्गव ऑडिटोरियम को एक संगीतमय संसार में बदल दिया। प्रख्यात सितार वादक उस्ताद शाहिद परवेज़ खान और तबले के उस्ताद अनुब्रत चटर्जी ने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली जुगलबंदी से दर्शकों को संगीत के जादू में ऐसा बांधा कि समय ठहर सा गया।

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रागों ने जगाई आध्यात्मिक अनुभूति

इस यादगार संगीत संध्या में भिमपलासी, पीलू और खमाज जैसे रागों की प्रस्तुति ने श्रोताओं को एक आध्यात्मिक यात्रा पर भेज दिया। जैसे ही उस्ताद शाहिद परवेज़ ने अपने सितार के सुर छेड़े, पूरा ऑडिटोरियम एक सम्मोहन में डूब गया। अनुब्रत चटर्जी के तबले की सधी हुई संगत ने इस जुगलबंदी को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। हर ताल, हर बंदिश, हर तिहाई पर दर्शकों की भावनाएं संगीत में घुलती चली गईं। जब प्रस्तुति समाप्त हुई, तो हाल तालियों की गूंज से गूंज उठा, मानो हर व्यक्ति ने इस जादुई संगीत का पूरा आनंद लिया हो।

Indian Classical Music performance by world renonwed Sitar virtuoso Ustad Shahid Parvez Khan, accompanied, on the tabla, by Shri Anubrata Chatterjee at Bhargava Auditorium PGI CHANDIGARH.pdf

संगीत प्रेमियों की महफ़िल में खास मेहमानों की मौजूदगी

इस आयोजन में पीजीआईएमईआर के डीन (रिसर्च) प्रो. संजय जैन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कार्यक्रम का आयोजन एसपीआईसी मैके और पीजीआईएमईआर की इंस्टीट्यूट कल्चरल कमेटी द्वारा किया गया, जिसमें प्रो. रीना दास और डॉ. शकुंतला लवासा ने अहम भूमिका निभाई। संस्थान के कई फैकल्टी सदस्य, छात्र, कर्मचारी और संगीत प्रेमी बड़ी संख्या में इस सुरमयी संध्या का हिस्सा बने।

शास्त्रीय संगीत के संरक्षण की ओर एक प्रयास

यह आयोजन सिर्फ एक संगीतमय शाम नहीं थी, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत को जीवंत बनाए रखने की दिशा में एक सार्थक पहल थी। एसपीआईसी मैके और पीजीआईएमईआर ने मिलकर यह साबित कर दिया कि शास्त्रीय संगीत की मिठास कभी फीकी नहीं पड़ती, बल्कि हर प्रस्तुति के साथ और गहरी होती जाती है।

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