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“भावाज्जलि एवं विविध” का हुआ लोकार्पण, पुरानी पीढ़ी को समर्पित अनमोल कृति

सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अनुसूया प्रसाद नौटियाल ने काव्य संग्रह की सराहना की

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साहित्य और संस्कृति की गंगा-यमुना धारा से सराबोर चंडीगढ़ के गढ़वाल भवन में आज गरिमामयी आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर आचार्य दिनेश शास्त्री की काव्य रचना “भावाज्जलि एवं विविध” का भव्य विमोचन हुआ। काव्य संग्रह का यह लोकार्पण न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए एक उत्सव बन गया बल्कि समाज की पुरानी पीढ़ी के संघर्ष और वात्सल्य को नए स्वर देने का एक अनूठा प्रयास भी सिद्ध हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. डॉ. जगदीश प्रसाद सेमवाल (सेवानिवृत्त निदेशक, जीरकपुर) ने की, जिन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “साहित्य समाज का दर्पण है और जब कोई रचना हमारी जड़ों से जुड़ी होती है तो वह भविष्य की पीढ़ियों को भी प्रेरित करती है। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अनुसूया प्रसाद नौटियाल (खरड़) ने उपस्थिति दर्ज कराते हुए काव्य संग्रह की सराहना की। उन्होंने कहा कि शास्त्री की यह कृति हमारी संस्कृति की गहराई को दर्शाती है और आने वाली पीढ़ियों को अपनी परंपराओं से जोड़ने में सहायक होगी।

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विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद् डॉ. विष्णु दत्त पांडेय (अमरावती, पंचकूला) ने इसे साहित्य की दुनिया में एक मूल्यवान योगदान बताया। वहीं भाजपा नेता एवं चंडीगढ़ के पूर्व पार्षद शक्ति प्रकाश देवशाली ने कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराते हुए कहा कि समाज को अपनी पुरानी पीढ़ी के संघर्षों को याद रखना चाहिए, क्योंकि उन्हीं के पसीने और त्याग से वर्तमान का आधार निर्मित हुआ है।

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आयोजन में गढ़वाल सभा (रजि.) चंडीगढ़ के अध्यक्ष शंकर सिंह पंवार, केदार बंदी ब्राह्मण सभा (रजि.) चंडीगढ़ के अध्यक्ष डॉ. नंदकिशोर शर्मा, आचार्य बृजमोहन सेमवाल तथा आचार्य अरुण सेमवाल सहित अनेक विद्वान और गणमान्य लोग मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विद्वान डॉ. अनिरुद्ध भट्ट ने अपने विशिष्ट अंदाज में किया। उनकी ओजस्वी वाणी ने समारोह को और भी जीवंत बना दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिंद बाबा संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा स्वस्तिवाचन से किया गया। इसके बाद अवनी भट्ट व भूमि भट्ट ने सरस्वती वंदना की।

काव्य संग्रह “भावाज्जलि एवं विविध” की विशेषता यह है कि यह हमारी पुरानी पीढ़ी को समर्पित है। इसमें उनके संघर्ष, त्याग, वात्सल्य और जीवन मूल्यों का जीवंत चित्रण किया गया है। आचार्य दिनेश शास्त्री ने इस रचना के माध्यम से उस पीढ़ी को श्रद्धांजलि दी है जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और संस्कारों की मशाल जलाए रखी।

इस लोकार्पण समारोह ने साहित्यिक जगत को एक नई दिशा दी है। उपस्थित सभी अतिथियों ने माना कि यह काव्य संग्रह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और समाज में सांस्कृतिक चेतना को प्रज्वलित करेगा।

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