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NZCC में सुर-ताल की महफिल, शास्त्रीय संगीत महोत्सव में बांसुरी और गायकी का जादू

Classical Music Festival: देश के कई पुरस्कार विजेता संगीतज्ञों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया
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चंडीगढ़, 20 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Classical Music Festival: कालीदास ऑडिटोरियम में वीरवार शाम शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के लिए अविस्मरणीय अनुभव लेकर आई। ठिठुरती सर्दी को दरकिनार करते हुए भारी संख्या में संगीत प्रेमियों ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NZCC), पटियाला द्वारा आयोजित चार दिवसीय शास्त्रीय संगीत महोत्सव में शिरकत की। इस महोत्सव में देश के कई पुरस्कार विजेता संगीतज्ञों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

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संगीतमय शाम की शुरुआत डॉ. अलंकार सिंह के राग सुध कल्याण में दो थीम आधारित बंदिशों से हुई। उन्होंने विलंबित खयाल “जब ही घर आवे लाल मोरा…” और द्रुत खयाल “एरी अली आज गाओ सब मिलके…” प्रस्तुत किया। इसके बाद राग मारवा में “गुरु बिन ज्ञान न पावे…” गाकर उन्होंने श्रोताओं को तालियों के साथ झूमने पर मजबूर कर दिया।

गुंजन चन्ना का गायन

शिमला के गुंजन चन्ना ने अपनी प्रस्तुति राग बिहाग से शुरू की। उन्होंने “कैसे सुख सो…” और “बलम रे मेरे मन के…” जैसी बंदिशों से श्रोताओं का मन मोह लिया। द्रुत तीन ताल में “देखो मोरी रंग में…” और लोकधुन “माए नी मेरीए…” ने उनकी प्रस्तुति को खास बना दिया।

पंडित राजेंद्र प्रसन्ना का बांसुरी वादन

मंच का मुख्य आकर्षण बनारस घराने के प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना की प्रस्तुति रही। उन्होंने राग गोरख कल्याण में आलाप और तीन ताल में ध्रुव बंदिश से शुरुआत की। इसके बाद बनारसी दादरा और पहाड़ी लोकधुन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ राजेश प्रसन्ना (बांसुरी) और अभिषेक मिश्रा (तबला) की संगत ने माहौल को और भी सुरमय बना दिया।

आगामी प्रस्तुतियां

शास्त्रीय संगीत समारोह के तीसरे दिन रोंकीनी गुप्ता और उदय प्रकाश मलिक पटियाला के संगीत प्रेमियों को अपनी स्वर लहरियों से आनंदित करेंगे। केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने संगीत प्रेमियों से इस महोत्सव में अधिकाधिक संख्या में शिरकत करने की अपील की। यह महोत्सव 22 दिसंबर तक जारी रहेगा।

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