बठिंडा, 27 दिसंबर (स)
किसान आंदोलन को समर्पित 4 दिवसीय चौथे पीपल्ज लिटरेरी फेस्टिवल के तीसरे दिन के पहले सैशन में ‘दर्द बिछोड़े का हाल, पंजाब बंड की गाथा’ के दौरान प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक डा़ अनिरुद्ध काला ने कहा कि सन् 1947 की वहशीपन के दाग पंजाबी सभ्याचार पर ऐसा धब्बा है जिस पर हमारी आने वाली पीढ़ियां शर्मिंदा होती रहेंगी। धर्म की आड़ में कुछ बहशी लोगाें ने रिश्तों का कत्ल कर दिया। उन्होंने कहा कि 1947 के विभाजन के समय 10 लाख के करीब लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था। उन्होंने कहा कि लंबा समय बीतने के बाद भी लोग विभाजन की बातें करते हैं। लेखक सांवल धामी ने कहा कि दोनों पंजाब के विभाजन के दर्द को प्रत्यक्ष रूप से देखने वाले कुछ ही लोग बचे हैं। उन्होंने कहा कि विभाजन के कारणों को लेखों और फिल्मों के रूप में सहेज कर रखने की जरूरत है।