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1992 fake encounter case: सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला, दो युवकों को अगवा कर किया था एनकाउंटर

1992 Fake Encounter Case: इस मामले में पूर्व एसएचओ सहित 3 पुलिस मुलाजिमों को उम्र कैद
प्रतीकात्मक चित्र
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मोहाली, 24 दिसंबर (राजीव तनेजा)

1992 Fake Encounter Case: 1992 में दो युवकों को अगवा करके झूठे पुलिस मुकाबले में मारने और लाश को अज्ञात बताकर संस्कार करने के मामले में सीबीआई अदालत ने पूर्व एसएचओ सहित तीन पुलिस मुलाजिमों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। आरोपियों को सोमवार सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया था। यह मामला सीबीआई की स्पेशल जज राकेश गुप्ता की अदालत में विचाराधीन था।

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अदालत ने सुनवाई दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने उपरांत उस समय के थाना सिटी तरनतारन इंचार्ज रहे गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह और पुलिस कर्मचारी हंस राज सिंह को धारा 302 व 120बी में उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कल ही तीनों दोषियों को हिरासत में लेकर जेल भेजने के निर्देश जारी कर दिए थे। इस मामले में ट्रॉयल दौरान आरोपी पुलिस मुलाजिम अर्जुन सिंह की दिसंबर 2021 में मौत हो गई थी और उसके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई थी।

30 नवंबर 1992 को किया था एनकाउंटर

सीबीआई की ओर से अदालत में दायर की गई चार्जशीट अनुसार जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को एसएचओ गुरबचन सिंह की अगुवाई में पुलिस पार्टी ने अगवा कर लिया था। अगवा करने से पहले पुलिस ने घर में गोली चलाई और गोली लगने के कारण मक्खन की सास सविंदर कौर की मौत हो गई थी। यह घटना 18 नवंबर 1992 की है। इस तरह गुरनाम सिंह उर्फ पाली को एसएचओ गुरबचन ङ्क्षसह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 21 नवंबर 1992 को उसके घर से अगवा किया था। गुरनाम सिंह उर्फ पाली व जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को 30 नवंबर 1992 को गुरबचन सिंह के नेतृत्व में पुलिस पार्टी ने झूठे मुकाबले में मार दिया था।

पुलिस ने यह बनाई थी कहानी

पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की उसमें यह दर्शाया गया कि एसएचओ गुरबचन सिंह सहित उनकी पुलिस पार्टी को 30 नवंबर 1992 की सुबह गश्त दौरान एक युवक गाड़ी में घूमता हुआ दिखाई दिया। नूर की अड्डा तरनतारन के नजदीक उक्त युवक को संदिग्ध हालत में काबू किया गया। गाड़ी चलाने वाला युवक गुरनाम सिंह उर्फ पाली था। पूछताछ दौरान उसने रेवले रोड टीटी और दर्शन सिंह के प्रोवीजन स्टोर में हैंड ग्रेनेड फैंकने की बात कबूल की, जिसके बाद उसे काबू कर लिया।

पुलिस ने कहा आतंकी हमला हुआ तो चलानी पड़ी गोली

पुलिस ने कहा गुरनाम सिंह पाली को बेहला बाग में कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और गोला बारूद की बरामदगी के लिए लाया गया, तो बाग के अंदर पुलिस पार्टी पर आतंकी हमला हुआ। क्रॉस फायरिंग में हुई। गुरनाम सिंह उर्फ पाली बचने की नियत से आने वाली गोलियों की दिशा में भागा पर दोनों तरफ से हुई फायरिंग में उसे गोली लग गई और उसकी मौत हो गई। वहीं, जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को उन्होंने आतंकी हमला करने वाली टीम में शामिल बताया। दोनों के शवों का संस्कार शमशानघाट में लावारिस मानकर कर दिया। बतानेयोग है कि मृतक जगदीप सिंह मक्खन पंजाब पुलिस में सिपाही था और मृतक गुरनाम सिंह पाली पंजाब पुलिस में एसपीओ था।

1997 में सीबीआई ने दर्ज की थी एफआईआर

सीबीआई ने 27 फरवरी 1997 को गुरबचन सिंह व अन्य के खिलाफ धारा 364, 302, 34 के तहत मामला दर्ज किया और जांच पूरी होने के बाद गुरबचन सिंह व अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अज्ञात शव बताकर संस्कार करने के मामले में जांच के निर्देश दिए थे।

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