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1991 नूरपुर बेदी फर्जी मुठभेड़ मामला फिर खुला

हाईकोर्ट ने खारिज की सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट , मामले पर पुनर्विचार के दिए निर्देश

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1991 नूरपुर बेदी फर्जी मुठभेड़ मामला फिर खुल गया है। हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा दायर चौथी क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। मृतक के भाई परमजीत सिंह उर्फ पम्मा द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर कार्रवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने सीबीआई अदालत को मामले पर पुनर्विचार करने और नये आदेश जारी करने का निर्देश दिया है। आरोपी पुलिस अधिकारियों को एक नवंबर अदालत में पेश होने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।

मामला 21 मई 1991 को रोपड़ जिले के नूरपुर बेदी में पुलिस छापेमारी के दौरान लोक निर्माण विभाग के नाविक चालक जगदीश सिंह और उनके परिवार के सदस्यों की गैर न्यायिक हत्या से संबंधित है। पीड़ितों में जगदीश सिंह की 65 वर्षीय मां सुरजीत कौर, उनकी पत्नी बलजिंदर कौर (35), उनकी तीन साल की बेटी और लगभग दो महीने का उनका नवजात बेटा शामिल थे। जगदीश सिंह फिरोजपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश केएस कौलधर के भतीजे थे। वह परिवार के साथ आनंदपुर साहिब स्थित कौलधर के फार्महाउस में रहते थे।

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परमजीत द्वारा दिसंबर 1991 में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, इंस्पेक्टर जसपाल सिंह, सब-इंस्पेक्टर बलवंत सिंह और एएसआई प्रीतम सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने फार्महाउस पर छापा मारा। जगदीश सिंह को कथित तौर पर प्रताड़ित कर उसकी हत्या कर दी गई, जबकि उनके परिवार के सदस्यों की भी हत्या कर दी गई। पुलिस ने जगदीश सिंह के शव को अज्ञात घोषित कर अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया था। छापेमारी के दौरान हेड कांस्टेबल जसपाल सिंह की गोली लगने से मौत हो गई और एएसआई प्रीतम सिंह घायल हो गया था। पुलिस ने दावा किया कि गोलीबारी आत्मरक्षा में की गई थी और परमजीत सिंह व अन्य के खिलाफ आर्म्स एक्ट और टाडा की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

पिछले कुछ वर्षों में सीबीआई ने इस मामले में चार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की हैं। 1999, 2003 और 2011 में प्रस्तुत पहली तीन रिपोर्ट सीबीआई अदालत ने खारिज कर दी और आगे की जांच के निर्देश दिए। हालांकि, सितंबर 2020 में दायर चौथी रिपोर्ट जून 2023 में स्वीकार कर ली गई और शिकायतकर्ता की विरोध याचिका खारिज कर दी गई। इसे चुनौती देते हुए परमजीत सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने रिपोर्ट की स्वीकृति में अनियमितताएं पाईं। अदालत ने जून 2023 के आदेश को रद्द कर दिया और सीबीआई अदालत को साक्ष्यों के आलोक में एक नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया। तीन दशक से भी अधिक समय बाद इस मामले के फिर से खुलने से पंजाब की सबसे विवादास्पद कथित फर्जी मुठभेड़ में से एक यह घटना फिर सुर्खियों में आ गई है।

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