नयी दिल्ली, 3 अगस्त (एजेंसी)
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)ने बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस के स्वामित्व वाले नेशनल हेराल्ड कार्यालय में मौजूद यंग इंडियन के कार्यालय को अस्थायी रूप से सील कर दिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई ईडी द्वारा धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में की गई है। उन्होंने बताया कि ‘सबूतों को सुरक्षित रखने’ के लिए अस्थायी तौर पर कार्यालय को सील किया गया है, जिन्हें मंगलवार की छापेमारी के दौरान अधिकृत प्रतिनिधियों के अनुपस्थित होने की वजह से एकत्र नहीं किया जा सका था।
सूत्रों ने बताया कि नेशनल हेराल्ड का बाकी कार्यालय इस्तेमाल के लिए खुला है। उन्होंने बताया कि ईडी ने यंग इंडियन के कार्यालय के बाहर एक नोटिस चस्पां किया है जिस पर जांच अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। नोटिस में लिखा गया है कि इस कार्यालय को एजेंसी की अनुमति के बिना खोला नहीं जा सकता। अधिकारियों ने बताया कि ईडी की टीम ने छापेमारी के वास्ते परिसर खोलने के लिए कार्यालय के प्रधान अधिकारी/प्रभारी को ई-मेल भेजा था, लेकिन जवाब का अब भी इंतजार है। ईडी ने नेशनल हेराल्ड- एजेएल-यंग इंडियन करार से जुड़े कथित धन शोधन के मामले की जांच के तहत मंगलवार को दिल्ली के आईटीओ के नजदीक बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस में नेशनल हेराल्ड के कार्यालय सहित कई ठिकानों पर छापा मारा था। नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) करती है और इस कंपनी की हिस्सेदारी यंग इंडियन के पास है। नेशनल हेराल्ड एजेएल के नाम से पंजीकृत है।
ईडी के अधिकार : सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बिफरा विपक्ष
देश के 17 विपक्षी दलों ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले अधिकारों के संदर्भ में आए सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले को लेकर निराशा जताई है। इन दलों ने एक साझा बयान में यह उम्मीद भी जतायी कि शीर्ष अदालत का यह निर्णय बहुत कम समय के लिए होगा और आगे संवैधानिक प्रावधानों की जीत होगी। इस साझा बयान पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, द्रमुक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, माकपा, भाकपा, एमडीएमके, राजद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और शिवसेना समेत 17 दलों के नेताओं और निर्दलीय राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी दलों ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया आदेश के होने वाले दूरगामी असर को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं जिसमें शीर्ष अदालत ने धनशोधन निवारण कानून, 2002 में किए गए संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखा तथा इसकी छानबीन नहीं की कि इनमें से कुछ संशोधन वित्त विधेयक के जरिये किए गए।’ उन्होंने दावा किया कि इन संशोधनों ने उस सरकार के हाथ को मजबूत किया जो प्रतिशोध की राजनीति में लगी हुई है, इन संशोधनों का उपयोग करके अपने विरोधियों को शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण ढंग से निशाना बना रही है। विपक्षी दलों ने कहा, ‘हम इस बात से निराश हैं कि सुप्रीम कोर्ट, जिसे कानून में जांच-परख और संतुलन के अभाव को लेकर स्वतंत्र फैसला देना चाहिए, उसने वस्तुत: उन दलीलों को फिर से सामने कर दिया जो इन संशोधनों के समर्थन में कार्यपालिका की ओर से रखी गईं थीं।’ गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के तहत ईडी को मिले अधिकारों का समर्थन करते हुए गत 27 जुलाई को कहा था कि धारा-19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार, मनमानी नहीं है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा था कि धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपत्ति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है।
धमकी की राजनीति से नहीं डरेंगे : कांग्रेस
कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ पांच अगस्त को प्रस्तावित उसके प्रदर्शन को विफल करने के मकसद से नरेंद्र मोदी सरकार ने उसके मुख्यालय को ‘छावनी में तब्दील’ करवा दिया है। मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि एक ‘भयभीत सरकार’ के इशारे पर पुलिस ने उसके मुख्यालय के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आवासों को भी ‘घेर रखा है’। दूसरी तरफ, पुलिस का कहना है कि ऐसी सूचना मिली थी कि कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदर्शनकारी जमा हो सकते हैं, इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया ताकि कोई अवांछित परिस्थिति न पैदा हो। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह धमकी की राजनीति है। एक कहावत है कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि। यह विनाशकाल है। महंगाई है, बेरोजगारी है।’