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लोस में महिला आरक्षण बिल पास, राज्यसभा में चर्चा आज

विधायिका में 33 फीसदी आरक्षण के लिए पहला कदम तो बढ़ा, लेकिन डगर अभी लंबी
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चर्चा का जवाब देते केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल। - प्रेट्र
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नयी दिल्ली, 20 सितंबर (एजेंसी)

देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता वाले ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को लोकसभा ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इसमें संसद के निचले सदन और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इससे संबंधित ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर करीब आठ घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा ने 2 के मुकाबले 454 वोट से अपनी स्वीकृति दी।

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सदन में कांग्रेस, सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने विधेयक का समर्थन किया। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने विधेयक का विरोध किया। इस विधेयक पर बृहस्पतिवार को राज्यसभा में चर्चा होगी। चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है। बेशक यह विधेयक लोकसभा से पास हो गया और संभवत: राज्यसभा से भी पास हो जाए, लेकिन अभी यह डगर लंबी है क्योंकि परिसीमन और जनगणना के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा। यानी अगले साल होने वाले आम चुनाव में इसके प्रावधान लागू नहीं हो सकते।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत की। राहुल गांधी, गृह मंत्री अमित शाह, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी समेत कुल 60 सदस्यों ने इस विधेयक पर चर्चा में भाग लिया। इनमें 27 महिला सदस्य शामिल हैं। मेघवाल ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने इस बार ऐसी व्यवस्था की है कि महिलाओं को अब इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने तकनीकी मुद्दों पर कहा, ‘आप (विपक्ष) चाहते हैं कि यह विधेयक तकनीकी कारणों से फंस जाये, लेकिन हम इस बार इसे फंसने नहीं देंगे।’ परिसीमन के बगैर आरक्षण देने के एक सदस्य के सवाल पर मेघवाल ने कहा कि यदि सरकार ने अभी आरक्षण दे दिया तो किसी संगठन के जरिये सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके विपक्ष इसे फंसाने का प्रयास करेगा, लेकिन इस बार सरकार विधेयक फंसने नहीं देगी।

जनगणना, परिसीमन के बाद ही लागू होगा कानून : शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं पर कहा कि परिसीमन आयोग अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसके प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं और इसमें चुनाव आयोग के प्रतिनिधि और सभी दलों के एक-एक सदस्य होते हैं। इस प्रक्रिया में समय लगता है। उन्होंने कहा, ‘चुनाव के बाद तुरंत जनगणना और परिसीमन दोनों होंगे और बहुत जल्द यह कानून बनेगा। हम जो कहते हैं, वह करते हैं।’ आरक्षित होने वाली एक तिहाई सीटें कौन तय करेगा? के सवाल पर उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर वायनाड (राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र) में ऐसा हो गया तो क्या होगा। उन्होंने कहा, ‘यदि सदस्यों को लगता है कि विधेयक में कुछ अधूरा है तो उसमें कल सुधार कर लेंगे, लेकिन महिलाओं के सम्मान के लिए इसका समर्थन कीजिए।’

लड्डू दिखाकर कहते हैं खा नहीं सकते : हरसिमरत

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने विधेयक को अगले लोकसभा चुनाव से लागू करने की मांग की और कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार महिलाओं को लड्डू दिखा रही है, लेकिन कह रही है कि वे इसे खा नहीं सकतीं। हरसिमरत का कहना था कि इस विधेयक को लेकर जो उत्साह पैदा हुआ था वो इसका विवरण सामने आने के बाद 24 घंटे के भीतर ही खत्म हो गया। उन्होंने कहा, ‘जब आपने (भाजपा) घोषणापत्र में महिला आरक्षण का वादा किया, साढ़े नौ साल क्यों लग गए? लॉकडाउन घंटों में कर सकते हैं, नोटबंदी घंटों में कर सकते हैं तो यह विधेयक लाने में साढ़े नौ साल क्यों लग गए? अब लाए हैं तो इसे अगले लोकसभा चुनाव से क्यों लागू नहीं कर रहे?’

मेरे पति का अधूरा सपना पूरा होगा : सोनिया गांधी

लोकसभा में बुधवार को महिला आरक्षण बिल पर चर्चा की शुरुआत करतीं कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी। - प्रेट्र

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने कहा, ‘विधेयक को फौरन अमल में लाया जाए।’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने में अपने पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के योगदान को याद किया और कहा कि इस महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से उनके दिवंगत पति का अधूरा सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन करती है। लेकिन मैं सवाल पूछना चाहती हूं कि इंतजार कितने वर्ष? दो वर्ष, चार वर्ष, छह वर्ष या आठ वर्ष?’ चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, ‘यह मेरी जिंदगी का बहुत मार्मिक क्षण है। स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन विधेयक मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी जी ही लेकर आए थे जो राज्यसभा में सात वोटों से गिर गया था। बाद में पीवी नरसिंह राव जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने उसे पारित करवाया। आज उसी का नतीजा है कि देश में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं।’ उन्होंने ओबीसी महिलाओं के िलए भी आरक्षण के प्रावधान की मांग की। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इसमें ओबीसी की महिलाओं के लिए अलग आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि तत्काल जातीय जनगणना कराई जाए और संप्रग सरकार के समय हुई जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है।

स्त्री में महासागर जैसा धीरज

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने भारतीय महिलाओं के गुणों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘भारत की स्त्री में महासागर जैसा धीरज है, उसने अपने साथ हुई नाइंसाफी की शिकायत नहीं की। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया। मुश्किल वक्त में हिमालय की तरह अडिग रही।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय स्त्री ने कठिन समय में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबासाहेब आंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतारकर दिखाया है।

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