Maharashtra: क्या महाराष्ट् में बनेंगे नए राजनीतिक समीकरण, राज व उद्धव ठाकरे की मुलाकात से अटकलें तेज
मुंबई, 24 फरवरी (भाषा)
Maharashtra: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे की अपने चचेरे भाई और शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुंबई में एक विवाह समारोह में मुलाकात हुई जिसके बाद महाराष्ट्र में आगामी नगर निगम चुनावों से पहले दोनों के बीच राजनीतिक मतभेद सुलझने की अटकलें तेज हो गई हैं।
राजनीतिक रूप से अलग हो चुके दोनों भाई रविवार शाम अंधेरी इलाके में सरकारी अधिकारी महेंद्र कल्याणकर के बेटे के विवाह समारोह में एक साथ देखे गए।
शादी समारोह के दौरान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे से राज ठाकरे की मुलाकात हुई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एमएनएस और शिवसेना (उबाठा) के बीच आगामी नगर निगम चुनावों, खासतौर पर आर्थिक रूप से समृद्ध बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों को ध्यान में रखते हुए आपसी मतभेद खत्म करने की संभावना बन सकती है। हालांकि, अभी तक नगर निकाय चुनावों की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है।
पिछले दो महीनों में यह तीसरा मौका था जब दोनों भाइयों की सार्वजनिक रूप से मुलाकात हुई जिससे दोनों दलों के बीच संबंधों में सुधार की अटकलें तेज हो गई हैं।
राज ठाकरे ने वर्ष 2005 में (तत्कालीन एकीकृत) शिवसेना छोड़ दी थी और अगले वर्ष अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था। पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा रही शिवसेना (उबाठा) ने 20 सीटें जीती थीं जबकि एमएनएस को कोई भी सीट नहीं मिली थी।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) से नेताओं का तेजी से पलायन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तीन माह बाद उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उबाठा) को कई नेताओं के पार्टी छोड़ने से झटका लगा है। कई पार्टी पदाधिकारी और यहां तक कि पूर्व विधायक भी पार्टी छोड़ चुके हैं। हाल ही में राजन साल्वी ने पार्टी छोड़ी है। वह पार्टी में बड़े नेता माने जाते थे और तटीय कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरि जिले की राजापुर विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे हैं।
ठाकरे परिवार के कट्टर समर्थक साल्वी इस महीने की शुरुआत में अपने समर्थकों के साथ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल हो गए। इसके कुछ दिनों बाद कोंकण के एक और पूर्व विधायक शिंदे की पार्टी में शामिल हो गए। उनके साथ कई पार्टी पदाधिकारियों ने भी पाला बदल लिया।
पिछले सप्ताह पूर्व पार्षद एवं शिवसेना (उबाठा) की महिला शाखा की नेता और ठाकरे की करीबी राजुल पटेल ने पार्टी छोड़ दी थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ठाकरे परिवार के लिए पटेल और साल्वी जैसे नेताओं का पार्टी से जाना संगठनात्मक झटके से कहीं अधिक है।
ठाकरे ने हाल ही में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दलबदल का जिक्र किया और खुद को विश्वासघात का शिकार बताया। उन्होंने अपनी स्थिति की तुलना जापानियों से की और कहा कि जब भूकंप के झटके नहीं आते तो वे ज्यादा हैरान होते हैं। ठाकरे ने यह भी कहा कि उनके अपने लोगों का इस्तेमाल उन्हें निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।
बाला साहेब ठाकरे द्वारा गठित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा झटका 2022 में तब लगा जब एकनाथ शिंदे ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया और इसमें 39 विधायकों तथा 13 सांसदों ने इसमें शिंदे का साथ दिया। शिवसेना (उबाठा) के एक विधायक ने कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए पार्टी नेतृत्व को अधिक सुलभ होने की जरूरत है।
शिवसेना (उबाठा) के एक विधायक ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘‘ शिंदे की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उनसे आसानी से मिला जा सकता है इसके विपरीत उद्धव जी तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल है।''
विधायक ने कहा, ‘‘ उन तक पहुंच एक मुद्दा है और पार्टी नेतृत्व को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। वे जितना अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की शिकायतों को सुनेंगे, उतनी ही अधिक उन्हें सही जानकारी मिलेगी।'' विधायक ने यह भी कहा कि पार्टी छोड़ने वालों को पता है कि उन्हें अगले पांच साल तक कुछ भी नहीं मिलेगा।