नहीं रुकेगी विधवा-बेटियों की पेंशन, दिव्यांग और गोद लिए बच्चों को भी मिलेगा उनका अधिकार; हरियाणा सरकार ने उठाया अहम कदम
हरियाणा सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो विधवा या तलाकशुदा बेटियों और दिव्यांग बच्चों की वित्तीय सुरक्षा को ‘सम्मान’ देने जैसा है। अब पारिवारिक पेंशन से जुड़ी फाइलें सिर्फ नियमों का ढेर नहीं होंगी, बल्कि उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण होंगी जो अपनों को खोने के बाद आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं। कई विधवा या तलाकशुदा बेटियां वर्षों से पारिवारिक पेंशन की राह तकती थीं।
अब एक सरकारी पत्र उनकी जिंदगी में राहत की उम्मीद लेकर आया है। यह पत्र जारी किया है मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने। मंगलवार केा जारी पत्र में उन्होंने सभी विभागों को सख्त हिदायत दी हे कि नियमों का पालन करें और पात्र को पेंशन मिलने से वंचित न करें। इतना ही नहीं, सरकार ने पारिवारिक पेंशन की परिभाषा में गोद लिए गए बच्चों और दिव्यांग आश्रितों को भी स्पष्ट रूप से शामिल करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि संबंध का दर्जा नहीं, आश्रितता का आधार ही अहम होगा। इससे कई अनदेखे और उपेक्षित परिवारों को राहत मिलेगी।
वर्षों तक विधवा बेटियों और दिव्यांग बच्चों को ‘दस्तावेज़ अधूरे हैं’ या ‘पात्रता स्पष्ट नहीं’ जैसे जवाब मिलते रहे। अब मुख्य सचिव के निर्देश के बाद इन कारणों का अंत होने की उम्मीद है। हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 8(10) (बी) और उसके नोट-3 में बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन अब उसकी व्याख्या और पालन को लेकर सरकार ने गंभीरता दिखाई है।
विधवा, तलाकशुदा बेटियां, दिव्यांग बच्चे और गोद लिए गए बच्चे अब ‘पेंशन के हक़दार’ के रूप में मान्यता पा सकेंगे। वह भी बिना किसी विभागीय भ्रम के। रस्तोगी ने सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों को विधवा या तलाकशुदा बेटी और दिव्यांग बच्चों की पारिवारिक पेंशन के मामलों में स्पष्ट निर्देश देते हुए ऐसे मामलों में हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम-2016 के प्रावधानों का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करने को कहा है। सभी विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, उपायुक्तों, उपमंडल अधिकारियों (नागरिक) भी यह पत्र जारी किया है।
क्या है सरकार का निर्देश
पत्र में साफ किया गया है कि विधवा या तलाकशुदा बेटियां और दिव्यांग आश्रित बच्चे (यदि आश्रित हैं) पारिवारिक पेंशन के पूर्ण हकदार हैं। गोद लिए गए बच्चे (चाहे वे हिंदू विधि के तहत गोद लिए गए हों या किसी अन्य मान्यता प्राप्त पद्धति से), यदि वे कर्मचारी पर पूरी तरह आश्रित हैं, तो वे भी पेंशन के पात्र हैं। सौतेले बच्चों को इस श्रेणी में नहीं माना है।
यह आ रही थी दिक्कत
प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) के संज्ञान में आया कि विभिन्न विभागों के पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी नियमों की सही व्याख्या नहीं कर पा रहे थे। इससे कई मामलों में पात्र लाभार्थी भी पेंशन से वंचित रह जाते थे या निर्णय वर्षों तक लटक जाता था।
अब क्या बदलेगा?
सरकारी निर्देश से अब हर विभाग को स्पष्ट समझ होगी कि
कौन पात्र है और कौन नहीं, इसमें कोई संशय नहीं रहेगा।
सभी अधिकारी पेंशन मामलों में समान मापदंडों के अनुसार कार्य करेंगे।
आश्रितों को अधिकार मिलने में देरी या भेदभाव की संभावना घटेगी।