नयी दिल्ली, 14 जुलाई (एजेंसी)
कांग्रेस सहित विपक्ष ने असंसदीय शब्दों के संबंध में नये संकलन पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने इसे ‘लोकतंत्र का अपमान’ करार दिया और कहा कि वह ‘जुमलाजीवी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती रहेगी। उल्लेखनीय है कि संसद की कार्यवाही के दौरान सदस्य अब जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिट्ठू जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे। लोकसभा सचिवालय ने ‘असंसदीय शब्द 2021′ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है।
नये संकलन पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘नए भारत के लिए यह नया शब्दकोष है।’ पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे। अब आगे क्या विषगुरु?’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल किया, ‘संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था?’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार को घेरने के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता रहेगा। पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘… भाजपा के लोग विपक्ष में रहते हुए इन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे।’ गोहिल ने कहा, ‘मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से कहना चाहता हूं कि आप दोनों सदन के संरक्षक हैं, आप यह कैसे होने दे सकते हैं?’
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने ट्वीट किया, ‘… मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। लोकतंत्र के लिए लड़ना है।’ बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने लोकसभा में चर्चा में भाग लेने का अपना एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘संसद के नये नियमों के प्रारूप के अनुसार आंदोलनजीवी संसदीय भाषा है लेकिन जुमलाजीवी असंसदीय….। क्योंकि प्रधानमंत्री जी के ‘आंदोलनजीवी’ शब्द के जवाब में मैंने उसी दिन ‘जुमलाजीवी’ शब्द का इस्तेमाल लोकसभा में किया था।’ शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ़, वाह मोदी जी वाह!’
कोई प्रतिबंध नहीं, मर्यादा में रखें बात : ओम बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है तथा सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिये स्वतंत्र हैं। नये विवाद पर बिरला ने कहा, ‘यह 1959 से जारी एक नियमित प्रथा है। किसी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा कि संसदीय परिपाटियों से अनजान लोग कई तरह की टिप्पणियां करते हैं, विधायिकाएं सरकार से स्वतंत्र होती हैं तथा सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सरकार बोली-हायतौबा से पहले सच जानें
विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने कहा, ‘यह नया सुझाव या आदेश नहीं है’ क्योंकि इन शब्दों को संसद और राज्य विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों द्वारा पहले ही कार्यवाही से बाहर निकाला जा चुका है। इन शब्दों को यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान भी असंसदीय माना गया था। सरकारी सूत्रों ने कहा कि विपक्ष ने वास्तविकता जाने बगैर हायतौबा मचा रखी है। सरकारी सूत्रों ने उल्लेख किया कि ऑस्ट्रलिया की संसद में ‘एब्यूज्ड’ (अपमानित या प्रताड़ित) शब्द को असंसदीय माना जाता है जबकि क्यूबेक की नेशनल एसेंबली में ‘चाइल्डिशनेस’ (बचकानापन) शब्द इस्तेमाल नहीं होता है। उन्होंने बताया कि ‘बजट में लॉलीपॉप’ होने और ‘आप झूठ बोलकर यहां पहुंचे हैं’ जैसे वाक्यों या मुहावरों को पंजाब विधानसभा में कार्यवाही से बाहर किया गया था।