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1965 के युद्ध में तत्कालीन पीएम शास्त्री ने निर्णायक नेतृत्व किया : राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और भारतीय सैनिकों की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह राष्ट्र की ताकत की परीक्षा थी।...
नयी दिल्ली के साउथ ब्लॉक में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 1965 के युद्ध के वीर सैनिकों और शहीद नायकों के परिजन से बातचीत करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। -प्रेट्र
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और भारतीय सैनिकों की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह राष्ट्र की ताकत की परीक्षा थी। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी के दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व के कारण ही भारत 1965 में अनिश्चितता और चुनौतियों का सामना करने में सफल रहा, क्योंकि उन्होंने न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि पूरे राष्ट्र का मनोबल भी बढ़ाया।

रक्षा मंत्री एक कार्यक्रम में 1965 के युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों और शहीद नायकों के परिजनों के साथ बातचीत कर रहे थे। इस बात पर जोर देते हुए कि भारतीयों ने बार-बार यह साबित किया है कि देश अपना भाग्य स्वयं बनाता है। उन्होंने ने ऑपरेशन सिंदूर को इस दृढ़ संकल्प का एक शानदार उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर ने हमारे दुश्मनों को दिखा दिया कि हम कितने मज़बूत हैं। जिस समन्वय और साहस के साथ हमारी सेनाओं ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, वह इस बात का प्रमाण है कि जीत अब हमारे लिए कोई अपवाद नहीं है; यह हमारी आदत बन गई है। हमें इस आदत को हमेशा बनाए रखना चाहिए।' हालांकि, रक्षा मंत्री के संबोधन का मुख्य आकर्षण 1965 के युद्ध पर उनका अवलोकन था।

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उन्होंने कहा, ‘कोई भी युद्ध केवल युद्ध के मैदान में नहीं लड़ा जाता; युद्ध में विजय पूरे राष्ट्र के सामूहिक संकल्प का परिणाम होती है।' उन्होंने कहा, ‘1965 के उस दौर में, भारत अनिश्चितताओं और चुनौतियों का सामना करने में कामयाब रहा, जिसका श्रेय लाल बहादुर शास्त्री जी के दृढ़-इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व को भी जाता है। उन्होंने न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि पूरे राष्ट्र का मनोबल भी नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया।' उन्होंने कहा, ‘विपरीत परिस्थितियों में भी हमने एकता का परिचय दिया और युद्ध जीता।' अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने 1965 के युद्ध के शहीद नायकों तथा उन लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारत शक्ति परीक्षण में विजयी हो।

 

 

 

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