ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 24 अप्रैल
ईवीएम के जरिये डाले गए वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) से मिलान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि केवल संदेह के आधार पर वीवीपैट के साथ ईवीएम का उपयोग करके डाले गए वोटों के 100% क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर आदेश कैसे जारी कर सकते हैं?
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, ‘क्या हम संदेह के आधार पर परमादेश जारी कर सकते हैं? जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं वह कहती है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है। हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण (चुनाव आयोग) के नियंत्रक प्राधिकारी नहीं हैं। हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते।’ यहां उल्लेखनीय है कि वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं। प्रणाली के जरिये वोट के बाद निकली पर्ची को मतदाता देख सकता है। इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है। याचिकाकर्ता ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को अपारदर्शी से बदलने के चुनाव आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की भी मांग की है, जिसके माध्यम से एक मतदाता केवल सात सेकंड के लिए प्रकाश चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है।
फैसला सुरक्षित रखने के 6 दिन बाद फिर बुलाया अधिकारी को
संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखने के छह दिन बाद बेंच ने बुधवार को कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण के लिए चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को फिर से बुलाया। अधिकारी ने बेंच को बताया कि मशीनों में स्थापित माइक्रो-कंट्रोलर को बदला नहीं जा सकता।
मतपत्र पर वापस जाने का सवाल ही नहीं उठता
पीठ ने कहा कि वह ईवीएम प्रणाली को मजबूत करने के लिए निर्देश जारी करने पर विचार करेगी क्योंकि मतपत्र पर वापस जाने का सवाल ही नहीं उठता। गौर हो कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने ईवीएम पर संदेह जताया है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 18 अप्रैल को याचिकाकर्ताओं से कहा था, ‘हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता।’