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थिएटर संबंधी योजना पर वायुसेना प्रमुख ने कहा- हम नए ढांचे के खिलाफ नहीं

कुछ नागरिक संस्थाओं को मिलाकर एक संयुक्त ढांचा बनाने की भी वकालत की

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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने मंगलवार को सेना के लिए प्रस्तावित ‘थिएटर' संबंधी योजना पर कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए एक नया ढांचा बनाने का कोई भी फैसला राष्ट्रीय हित में होगा। इस पर विचार-विमर्श चल रहा है।

एक संवाद सत्र में एयर चीफ मार्शल ने ड्रोन के इस्तेमाल से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और कुछ नागरिक संस्थाओं को मिलाकर एक संयुक्त ढांचा बनाने की भी वकालत की। उन्होंने कुछ हलकों में इस धारणा को भी खारिज किया कि भारतीय वायुसेना (आईएएफ) सुधार पहल का विरोध कर रही है। सुझाव दिया कि नए सुधार उपाय को सावधानीपूर्वक चर्चा और विश्लेषण के बाद आगे बढ़ाया जाना चाहिए। ‘भारत शक्ति' द्वारा आयोजित भारत रक्षा सम्मेलन में उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें एक और ढांचे की जरूरत नहीं है। हमें एक और संयुक्त ढांचे की जरूरत हो सकती है।

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मेरा मानना ​​है कि हम कहीं और मौजूद कुछ संरचनाओं पर भरोसा न करें और यह न कहें कि यह हमारे लिए उपयुक्त होगा। एयर चीफ मार्शल सिंह से इस धारणा के बारे में पूछा गया कि भारतीय वायुसेना, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, थिएटर गठित करने की योजना का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि आइए देखें कि आज हमारे पास क्या है, हम कहां चूक गए या क्या हम चूके। अगर नहीं, तो हमने क्या अच्छा किया। आइए इसे और अधिक औपचारिक रूप दें। ऑपरेशन सिंदूर' तीनों सेनाओं के तालमेल का प्रतिबिंब था क्योंकि तीनों सेनाएं एक टीम के रूप में काम कर रही थीं। हो सकता है कि इस बार एक-दूसरे के साथ हमारे अपने व्यक्तिगत समीकरण काम आए।

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कल, ऐसा नहीं हो सकता है। क्योंकि हम सभी इंसान हैं। कुछ लोगों के विचारों में थोड़े-बहुत मतभेद होंगे। अगर एक औपचारिक ढांचा होगा, तो इससे हमें मदद मिलेगी। वायुसेना प्रमुख ने संकेत दिया कि सुधार उपायों पर चर्चा और विचार-विमर्श चल रहा है। इसके लिए मॉडल क्या होना चाहिए, क्या मुझे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए या एक ही बार में पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। इस पर चर्चा चल रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निर्णय ‘राष्ट्र पहले' के दृष्टिकोण पर आधारित होगा। आखिरकार जो भी फैसला लिया जाएगा, वह देशहित में होगा।

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