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Ways to remove obesity: मोटापे को कहें बाय-बाय, आयुर्वेद में है इसको दूर करने का उपाय

पंचकूला, 4 दिसंबर (ट्रिन्यू) Ways to remove obesity: मोटापा, जिसे आयुर्वेद में 'मेध रोग' कहा जाता है, आज एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। यह न केवल उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, और मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म देता है,...
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पंचकूला, 4 दिसंबर (ट्रिन्यू)

Ways to remove obesity: मोटापा, जिसे आयुर्वेद में 'मेध रोग' कहा जाता है, आज एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। यह न केवल उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, और मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म देता है, बल्कि हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, हार्मोनल असंतुलन, और फैटी लीवर जैसी गंभीर समस्याओं का भी कारण बनता है।

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पंचकूला के सेक्टर 16 स्थित संजीवनी आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र की संस्थापक और आयुर्वेद की जानी-मानी चिकित्सक डॉ. शिल्पा जैन ने बताया कि आयुर्वेद के माध्यम से मोटापे का प्रबंधन और उपचार प्राकृतिक और स्थायी समाधान प्रदान करता है।

एक ऑनलाइन सत्र में उन्होंने कहा, "मोटापा केवल एक कॉस्मेटिक समस्या नहीं है। यह शरीर के दोषों - वात, पित्त और कफ - के असंतुलन से उत्पन्न होने वाला मेटाबॉलिज्म विकार है।" विशेष रूप से कफ दोष में वृद्धि को वजन बढ़ने, निष्क्रियता और हाई कोलेस्ट्रॉल का मुख्य कारण बताया गया।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विश्लेषण

डॉ. जैन ने बताया कि मोटापे के इलाज की शुरुआत व्यापक बॉडी फैट एनालिसिस से होती है। इसमें बीएमआई, मसल मास रेश्यो, शरीर में पानी का स्तर और मेटाबॉलिक उम्र सहित 13 मापदंडों का आकलन किया जाता है। इसके आधार पर, प्रत्येक रोगी के लिए व्यक्तिगत आहार और योग योजना तैयार की जाती है।

आयुर्वेदिक उपचार की प्रक्रिया

मोटापे के उपचार में आयुर्वेदिक प्रक्रियाओं और पंचकर्म का उपयोग किया जाता है। इनमें शामिल हैं:

1. पंचकर्म थेरेपी: शरीर को डीटॉक्स करने और संतुलन बहाल करने के लिए।

2. उद्वर्तन थेरेपी: सूखे पाउडर से मालिश जो वसा कोशिकाओं को लक्षित करती है।

3. अभ्यंग स्वेदन: तेल मालिश और स्टीम थेरेपी का संयोजन जो कफ दोष को कम करता है।

4. बस्ती करम: औषधीय तेलों और हर्बल मिश्रणों का उपयोग शरीर को डिटॉक्स और संतुलित करने के लिए।

प्रति माह 5 से 12 किलोग्राम तक वजन घटा सकते हैं

डॉ. जैन ने बताया कि इन उपचारों और एक अनुकूलित आहार-योग योजना के जरिए रोगी प्रति माह 5 से 12 किलोग्राम तक वजन घटा सकते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित और बिना दुष्प्रभाव वाली होती है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण की ताकत

डॉ. जैन ने कहा कि आयुर्वेद शरीर के दोषों के असंतुलन को पहचानने और उसे ठीक करने पर केंद्रित है। नाड़ी परीक्षण (पल्स डायग्नोसिस) के माध्यम से शरीर की स्थिति का सटीक आकलन किया जाता है। उन्होंने कहा, "कफ दोष मोटापा और हृदय रोगों का कारण बनता है, वात दोष जोड़ों के दर्द और सूजन से जुड़ा होता है, जबकि पित्त दोष हार्मोनल असंतुलन और अपच का कारण बनता है।"

मोटापे से निपटने का प्राकृतिक तरीका

डॉ. जैन ने इस बात पर जोर दिया कि आयुर्वेद प्राकृतिक उपचारों के माध्यम से मोटापे का समाधान प्रदान करता है। इसमें सर्जरी या वसा हटाने के लिए किसी भी कृत्रिम प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है।

 

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