शिमला, 25 जून (एजेंसी) हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पिछले एक पखवाड़े से लोगों को पानी की कमी के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे चार साल पहले 2018 में शिमला में अब तक के सबसे भीषण जल संकट की यादें ताजा हो गई हैं। शिमला में इस बार कम बारिश होने, बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने और जलापूर्ति वितरण नेटवर्क के पाइपों में रिसाव होने को इस जलसंकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। शिमला नगर निगम (एसएमसी) और शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) ने दावा किया कि एक-एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन टूटू और कैथू समेत शहर के कई इलाकों के लोगों का कहना है कि उन्हें तीन-चार दिनों में एक बार पानी मिल रहा है। शिमला में पानी जैसे आवश्यक संसाधन की कमी के कारण राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। विपक्षी दल कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मौजूदा स्थिति के लिए अधिकारियों के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। सेवानिवृत होने वाले एसजेपीएनएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र गिल ने हाल में पीटीआई-भाषा को बताया कि पुराने पाइपों के कारण आपूर्ति किए जाने वाले पानी का एक चौथाई से अधिक हिस्सा लीक हो रहा है। कांग्रेस नेता और शिमला के पूर्व महापौर आदर्श सूद ने दावा किया कि राजधानी के कई इलाकों में हर तीन-चार दिनों में एक बार जलापूर्ति की जा रही है क्योंकि एसएमसी और एसजेपीएनएल पाइपों में होने वाले रिसाव को बंद करने में विफल रहे हैं। 2018 में शिमला में कई दिनों तक पानी की कमी हो गई थी। पानी की उपलब्धता उस समय के औसत 37-38 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) के मुकाबले घटकर 18 एमएलडी रह गई थी। संकट इस हद तक विकराल हो गया कि कई होटल व्यवसायियों ने पर्यटकों को सलाह देना शुरू कर दिया कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक वे शिमला नहीं जाएं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।