अजय बनर्जी/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 6 अगस्त
चीन और पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाते हुए, सेना ने जमीनी स्थिति की लाइव फीड प्राप्त करने के लिए लगभग 140 कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित निगरानी प्रणाली (एआई सिस्टम) तैनात की है। पाकिस्तान के साथ लगी 749 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन से लगी 3,448 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में अब विश्व स्तरीय निगरानी प्रणाली है। बताया जा रहा है कि इस सिस्टम में उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे, सेंसर, यूएवी फ़ीड और रडार फ़ीड शामिल हैं, जो संभावित परिदृश्यों पर पहुंचने के लिए कृत्रिम बुद्धि के माध्यम से एकत्रित और लागू होते हैं। एआई रिमोट टारगेट डिटेक्शन के साथ-साथ टारगेट के वर्गीकरण को स्पष्ट करेगा। चाहे वह आदमी हो या मशीन। यह सिस्टम यह मैन्युअल निगरानी की आवश्यकता को काफी कम कर देगा। सेना ने मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई), महू में एआई सेंटर स्थापित किया है। रक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, ‘एआई सैन्य अभियानों के दौरान काफी विषमता प्रदान करने में सक्षम है और युद्ध लड़ने में परिवर्तनकारी परिवर्तनों में से एक है।’ सेना ऐसी परियोजनाओं के लिए शिक्षाविदों और भारतीय उद्योग के साथ-साथ डीआरडीओ के साथ भी सहयोग कर रही है।
अग्रिम मोर्चे के सैनिकों को मिलेगी 5जी नेटवर्क सुविधा
नयी दिल्ली (एजेंसी) : थल सेना अग्रिम मोर्चे के सैनिकों की संचार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 5जी सेवा का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है, जो सामरिक युद्धक्षेत्र में आवश्यक होगी। रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हाल में सशस्त्र बलों में 5जी के क्रियान्वयन पर एक संयुक्त सेवा ने अध्ययन किया तो थल सेना के लिए इसे सबसे जरूरी माना गया। अध्ययन पूरा हो गया है और इसकी सिफारिशों का अध्ययन सेना के तीनों अंगों- थल सेना, नौसेना, वायु सेना द्वारा किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना सामरिक युद्धक्षेत्र में अभियानों में सहयोग के लिए 5जी का इस्तेमाल करेगी।