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युद्ध अब महीनों नहीं, घंटों, सेकंड में मापा जाता है : राजनाथ

भारतीय तटरक्षक बल का 42वां कमांडर सम्मेलन

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नयी दिल्ली स्थित आईसीजी मुख्यालय में 42वें भारतीय तटरक्षक बल कमांडरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अधिकारियों से मुलाकात करते हुए। -प्रेट्र
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि युद्ध अब ‘महीनों में नहीं, बल्कि घंटों और सेकंडों में मापा जाता है’, क्योंकि उपग्रह, ड्रोन और सेंसर संघर्ष की प्रकृति को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) से एक ऐसा भविष्योन्मुखी रोडमैप विकसित करने का आग्रह किया जो नई चुनौतियों का पूर्वानुमान लगा सके, अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत कर सके और रणनीतियों को लगातार अनुकूलित कर सके। यहां बल के मुख्यालय में आयोजित 42वें आईसीजी कमांडर सम्मेलन में अपने संबोधन में, सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध अब काल्पनिक खतरे नहीं हैं, बल्कि वर्तमान की हकीकत हैं। उन्होंने कहा, ‘कोई राष्ट्र मिसाइलों से नहीं, बल्कि हैकिंग, साइबर हमलों और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के जरिए हमारे सिस्टम को पंगु बनाने की कोशिश कर सकता है। आईसीजी को ऐसे खतरों से बचाव के लिए अपने प्रशिक्षण और उपकरणों को लगातार अनुकूलित और उन्नत करना होगा। प्रतिक्रिया समय को सेकंडों में कम करने और हर समय तत्परता सुनिश्चित करने के लिए स्वचालित निगरानी नेटवर्क और एआई-सक्षम प्रणालियां आवश्यक हैं।’

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का 7,500 किलोमीटर लंबा समुद्र तट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे द्वीपीय क्षेत्रों के साथ, ‘भारी चुनौतियां’ पेश करता है, जिसके लिए उन्नत तकनीक, अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों और चौबीसों घंटे निगरानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि समुद्री खतरे तेजी से तकनीक-संचालित और बहुआयामी होते जा रहे हैं। सिंह ने यह भी चेतावनी दी कि आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों की योजना बनाने के लिए डिजिटल मैपिंग और ‘रीयल-टाइम इंटेलिजेंस’ जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। यह सम्मेलन 28 से 30 सितंबर तक ‘विकसित होती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों’ और हिंद महासागर क्षेत्र के बढ़ते सामरिक महत्व की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा

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रहा है।

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