चंडीगढ़/नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (ट्रिन्यू)
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा लड़े गये युद्धों के इतिहास को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन्हें पढ़ने से सैनिकों की युवा पीढ़ी को मदद मिलेगी। पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी व देश के रक्षा सचिव (मार्च 1990 से अप्रैल 1993) रह चुके एनएन वाेहरा चंडीगढ़ में शुक्रवार को शुरू हुए चौथे मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।
वोहरा ने कहा कि हमने दुर्भाग्य से उन दस्तावेजों तक पहुंच की अनुमति नहीं दी, जो गोपनीय थे। उन्होंने रक्षा सचिव के रूप में अपने तीन साल के कार्यकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने 1948, 1962 और 1971 में युद्धों के सैन्य इतिहास को अंतिम रूप दिया और जब हमने उन्हें प्रकाशित करने की कोशिश की तो भारी विरोध हुआ व इन्हें प्रकाशित नहीं किया जा सका।
उन्होंने कहा कि युद्ध और युद्ध का अनुभव यदि समय पर ठीक से रिकॉर्ड नहीं किए जाएं और सैन्य अकादमियों या नेशनल डिफेंस कॉलेज जैसे संस्थानों में कैडेट्स को उपलब्ध नहीं कराया जाए तो युवा पीढ़ी इनसे सीख नहीं ले पाएंगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ ने किया उद्घाटन
लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। फेस्टिवल के अन्य प्रमुख वक्ताओं में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह शामिल रहे।