मुंबई, 10 दिसंबर (एजेंसी) स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े और उनकी पत्नी ने मुंबई की एक अदालत में याचिका दायर कर सोशल मीडिया कंपनियों को अपने मंचों पर दंपत्ति के खिलाफ ‘दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक’ सामग्री प्रकाशित या प्रदर्शित करने करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। उपनगर बोरीवली में एक दीवानी अदालत में दायर मुकदमे में वानखेड़े और उनकी पत्नी एवं अभिनेत्री क्रांति रेडकर ने अनुरोध किया है कि ‘गूगल इंडिया’, ‘फेसबुक इंडिया’ ऑनलाइन सेवाओं और ‘ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया’ को उनके खिलाफ अपने मंचों पर कोई भी ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट की अनुमति देने से स्थायी रूप से रोका जाए। मुकदमे में दावा किया गया है कि एनसीबी अधिकारी ने जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है, उनके इशारे पर विभिन्न ‘अनैतिक तत्व’ सोशल मीडिया मंचों के जरिए ‘प्रायोजित गलत सूचना’ फैला रहे हैं। कानूनी मामलों से जुड़ी कंपनी ‘रेक्स लीगलीस’ के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि ‘गलत सूचना फैलाने का अभियान’ उन लोगों के निहित स्वार्थों का परिणाम है जो एनसीबी अधिकारी द्वारा की गई जांच से प्रभावित हुए हैं। मुकदमे में कहा गया है कि जब इन ‘अनैतिक तत्वों’ यह लगा कि इस प्रकार से चरित्र हनन किए जाने के बावजूद वानखेड़े पर इसका खास प्रभाव नहीं पड़ा, तो उन्होंने उनकी पत्नी पर व्यक्तिगत हमले करना शुरू कर दिया। इसमें कहा गया, ‘याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह के आरोपों को लगाने का दायरा बढ़ रहा है और वादी के दूर के रिश्तेदारों को भी इसका शिकार बनाया जा रहा है।’ पिछली सुनवाई में अदालत ने वर्तमान मुकदमे में प्रतिवादियों की अमेरिकी संस्थाओं के खिलाफ भी अभियोग चलाने के वानखेड़े के आवेदन को अनुमति दी थी। मामले में आगे की सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।