Vijay Rally Stampede : चप्पलों का ढेर, टूटे खंभे... करूर में खुशी कैसे बन गई मातम?
करूर में जश्न के मातम में बदलने की कहानी बयां कर रहे चप्पलों के ढेर व टूटे खंभे
Vijay Rally Stampede : बिखरी पड़ी चप्पलें, पिचकी हुई पानी की बोतलें, टूटे खंभे और बिखरे कागज-उस भयानक पल की गवाही दे रहे थे, जिसने कई जिंदगियों को निगल लिया और जश्न को मातम में बदल दिया। सुबह की सैर पर निकले लोग और दूध-सब्जी लेने निकले राहगीर जब तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) प्रमुख विजय की बीती रात हुई रैली के स्थल से गुजरे तो वहां पसरे सन्नाटे और बिखरे सामान को देखकर स्तब्ध रह गए।
कोई समझ नहीं पा रहा था कि आखिर रात में ऐसा क्या हुआ जिसने यह भयावह दृश्य अपने पीछे छोड़ दिया। पुलिस ने घटनास्थल को ‘कृपया पार न करें' चेतावनी वाली टेप से घेर कर आम लोगों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया है जिन्होंने रात को टीवी नहीं देखा या जल्दी सो गए, वे लोग सुबह यह जानकर स्तब्ध रह गए कि इस कार्यक्रम में भगदड़ के कारण 38 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। जब कुछ वीडियोग्राफर भगदड़ वाली जगह की रिकॉर्डिंग कर रहे थे तो वहां मौजूद कुछ बुजुर्ग अविश्वास भरी निगाहों से वहां मौजूद छाया पत्रकारों से पूछते नजर आए, “क्या वाकई यहां भगदड़ हुई थी?''
जहां एक ओर घटनास्थल पर एक ऊंचे खंभे पर टीवीके का झंडा अब भी लहरा रहा है, वहीं दूसरी ओर जगह-जगह स्पीकर के बड़े-बड़े डिब्बे मेगा लाइट और फटे पोस्टर जैसी प्रचार सामग्री के ढेर पड़े हैं। इस दर्दनाक घटना के बीच टीवीके के कार्यकर्ता और पदाधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं-कोई भी यह कहने को तैयार नहीं कि आखिर उनकी योजना में चूक कहां हो गई। भगदड़ में किसी तरह जान बचाकर निकाले युवक ने दावा किया, ‘‘जब एक साथ सैकड़ों लोग जान बचाने की कोशिश में भाग रहे थे तो कई लोगों को धक्का लगा और वे सड़क किनारे नाले में गए।''
उन्होंने कहा कि जो पल उनके चहेते सितारे का स्वागत करने के जश्न के रूप में शुरू हुआ था, वह एक भयावह त्रासदी में बदल गया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब प्रशंसक विजय का नाम लेकर नारे लगा रहे थे, तब कई लोगों को यह एहसास तक नहीं हुआ कि वहां भगदड़ मच गई और कई लोग नीचे गिर पड़े हैं। जैसे ही कुछ लोगों के पैर नीचे गिरे लोगों पर पड़े वे भी लड़खड़ाकर गिर गए।'' भगदड़ के कारणों को लेकर कई लोगों के अपने-अपने दावे हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि क्या गड़बड़ हुई; क्या आयोजन के गलत स्थान के चयन की वजह से यह सब हुआ या फिर भीड़ के बेकाबू हो जाने से।
कुछ लोगों का दावा है कि सभा स्थल पर भीड़ ने अवरोधक के लिए लगाए गए टिन शेड को गिरा दिया और कई लोग पास की फूस की छतों पर चढ़ गए जो उनका भार सहन नहीं कर सकीं और गिर गई। इस वजह से कई लोग घायल हो गए। इसी समय स्थिति को काबू में लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया जिससे भीड़ में फंसे बच्चों समेत अन्य लोग यह समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है। करीब 70 वर्षीय एक बुजुर्ग ने कहा, ‘‘अपने जीवन में मैंने कभी नहीं देखा कि किसी राजनीतिक रैली में भगदड़ में इतनी बड़ी तादाद में लोग मारे गए हों।'' उन्होंने अभिनेता की सिर्फ एक झलक पाने की युवाओं की बेचैनी को इस घटना का जिम्मेदार ठहराया।
करूर के सरकारी अस्पताल के कर्मचारी भी उस भयावह मंजर से हिल गए। हालात इतने गंभीर थे कि पुलिसकर्मी भी चिकित्सकों के साथ मिलकर घायलों को उठाकर वार्ड तक पहुंचाने में लगे थे। जिन परिवारों ने अपने मासूम बच्चों को खो दिया वे इस हकीकत को स्वीकार ही नहीं कर पा रहे थे। उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। अपने बेसुध बच्चों को सीने से लगाए रोते माता-पिता का दृश्य झकझोर देने वाला था। सरकार के अनुसार इस घटना में 38 लोगों की जान गई है जिनमें 12 पुरुष, 16 महिलाएं और 10 बच्चे हैं। मुर्दाघर के बाहर रातभर चीख-पुकार गूंजती रही। मृतकों के परिजन रात भर विलाप करते रहे।
इसके अलावा, पुलिस ने भगदड़ के लगभग एक घंटे बाद कार्यक्रम स्थल से बची भीड़ को खदेड़ने के लिए बार-बार लाठीचार्ज किया। भगदड़ के बाद, विजय कार्यक्रम स्थल से चले गए और तिरुचिरापल्ली तथा चेन्नई हवाई अड्डों पर इंतजार कर रहे पत्रकारों से बात नहीं की। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं मर्माहत हूं, मैं असहनीय पीड़ा और गहरे शोक में हूं।'' अभिनेता ने कहा कि वह उपचाराधीन लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। विजय ने करूर में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।