उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का पद से इस्तीफा
धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।’
धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार थे। अपने त्यागपत्र में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सभी सांसदों को सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, 'मैं भारत के राष्ट्रपति के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं, जिनका समर्थन अडिग रहा। उनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा।' धनखड़ ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा। सभी संसद सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला, वह सदैव मेरी स्मृति में रहेगा।'
देश के अभूतपूर्व विकास देखकर संतुष्टि
धनखड़ ने कहा, ‘मैं हमारे महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और ज्ञान के लिए बहुत आभारी हूं। इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना, उसमें भाग लेना सौभाग्य एवं संतुष्टि की बात है। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना एक सच्चा सम्मान है। इस सम्मानित पद से विदा लेते हुए, मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूं, इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं।
विपक्ष के साथ रहा टकराव
राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में, धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ। विपक्ष ने उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था, जो खारिज हो गया था। यह प्रस्ताव स्वतंत्र भारत में किसी उपराष्ट्रपति को हटाने के प्रयास का पहला मामला था। धनखड़ पद पर रहते हुए इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वीवी गिरि ने 20 जुलाई, 1969 को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस ने कहा- यह चौंकाने वाला, अकल्पनीय
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी। मैं आज शाम लगभग 5 बजे तक कई अन्य सांसदों के साथ उनके साथ था और शाम 7:30 बजे उनसे फोन पर बात भी की थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि श्री धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। लेकिन उनके अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा कुछ है। हालांकि, यह अटकलों का समय नहीं है। धनखड़ ने मंगलवार दोपहर एक बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी। उन्हें कल न्यायपालिका से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं, लेकिन उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध करते हैं। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री श्री धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए राजी करेंगे। यह देशहित में होगा। खासकर किसान समुदाय को इससे बहुत राहत मिलेगी।'