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वेदांता ने भाजपा को दिया चार गुना ज्यादा चंदा, कांग्रेस को घटा

नयी दिल्ली, 13 जुलाई (एजेंसी) अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा को चंदा राशि 2024-25 में चार गुना होकर 97 करोड़ रुपये रही है। कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।...
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नयी दिल्ली, 13 जुलाई (एजेंसी)

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अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा को चंदा राशि 2024-25 में चार गुना होकर 97 करोड़ रुपये रही है। कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। कंपनी ने रिपोर्ट में ‘विविध मद' के अंतर्गत, राजनीतिक दलों को चंदे के साथ-साथ अपनी मूल कंपनी लंदन में सूचीबद्ध वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी को किए गए प्रबंधन और ब्रांड शुल्क व्यय का विवरण दिया है।

कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में कुल 157 करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा दिया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 97 करोड़ रुपये था। रिपोर्ट के अनुसार, एक तरह जहां भाजपा को दिया गया चंदा चार गुना हो गया, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को चंदा घटकर सिर्फ 10 करोड़ रुपये रह गया। बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने भारतीय जनता पार्टी को 97 करोड़ रुपये का चंदा दिया। यह राशि 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में सिर्फ 26 करोड़ रुपये थी। बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने बीजू जनता दल को 25 करोड़ रुपये (इससे पिछले वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये), झारखंड मुक्ति मोर्चा को 20 करोड़ रुपये (इससे पिछले वित्त वर्ष में पांच करोड़ रुपये) और कांग्रेस को 10 करोड़ रुपये (पिछले वित्त वर्ष में भी 49 करोड़ रुपये) का चंदा दिया। वेदांता राजनीतिक दलों को चंदा देने के मामले में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसने राजनीतिक दलों को कुल 155 करोड़ रुपये और 2021-22 में 123 करोड़ रुपये का चंदा दिया था। हालांकि, इन वित्त वर्षों के लिए चंदा पाने वाले राजनीतिक दलों का ब्योरा नहीं दिया गया है। कंपनी ने चुनावी बॉन्ड (अब रद्द हो चुके) के माध्यम से 2017 से राजनीतिक दलों को 457 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।

चुनावी बॉन्ड कंपनियों और व्यक्तियों को राजनीतिक दलों को अपनी पहचान बताए बिना चंदा देने की अनुमति देते थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए इनपर प्रतिबंध लगाया दिया था। वेदांता का जनहित इलेक्टोरल ट्रस्ट, राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए कंपनियों द्वारा स्थापित एक दर्जन से अधिक चुनावी न्यास में से एक है। इसी तरह के न्यास टाटा का प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट भी है। कंपनियों द्वारा स्थापित इसी तरह के अन्य न्यास में रिलायंस का पीपल्स इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारती समूह का सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट, एमपी बिड़ला समूह का परिवर्तन इलेक्टोरल ट्रस्ट और के के बिड़ला समूह का समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट एसोसिएशन शामिल हैं। बजाज और महिंद्रा के भी इसी तरह के इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं। 

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