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US-Pak Weapons : 2 अरब डॉलर के हथियारों पर घमासान, भारतीय सेना ने खोला अमेरिका-पाक गठजोड़ का राज

सेना ने पाकिस्तान को हथियार देने में अमेरिका की भूमिका को उजागर करने वाली पुरानी खबर साझा की
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाशिंगटन स्थित व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए। एपी/पीटीआई
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US-Pak Weapons : रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर अमेरिका की ओर से भारत की आलोचना के बीच, भारतीय सेना ने मंगलवार को अगस्त 1971 की एक समाचार क्लिप साझा की, जिसमें 1954 से पाकिस्तान को हथियार देने में अमेरिका की भूमिका को उजागर किया गया है। यह समाचार क्लिप सेना की पूर्वी कमान द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में साझा की गई।

पोस्ट में हैशटैग भारतीयसेना, पूर्वीकमान, विजयवर्ष, ‘लिबरेशनऑफबांग्लादेश' और ‘मीडियाहाइलाइट्स' के साथ ही इसमें नोफैक्ट्स (तथ्यजानें) हैशटैग के साथ ‘इस दिन उस वर्ष' युद्ध की तैयारी - 05 अगस्त 1971 का भी उल्लेख किया गया है। यह समाचार 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से कुछ महीने पहले प्रकाशित हुआ था। युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। इस खबर में तत्कालीन समय से पिछले लगभग दो दशकों में पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराने में अमेरिका की भूमिका के बारे में बताया गया था।

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इसका शीर्षक था, ‘‘यूएस आर्म्स वर्थ डॉलर2 बिलियन शिप्ड टू पाकिस्तान सिंस 54' यानी ‘1954 से अब तक दो अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी हथियार पाकिस्तान भेजे गए हैं।' खबर में तत्कालीन रक्षा उत्पादन मंत्री वी.सी. शुक्ला का हवाला दिया गया है, जिन्होंने उस अवधि के दौरान आपूर्ति किये गये हथियारों के अनुमानित मूल्य के बारे में राज्यसभा को बताया था। सोशल मीडिया पर यह पोस्ट नयी दिल्ली द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर वाशिंगटन की बढ़ती आलोचना के बीच आया है। भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए नयी दिल्ली को ‘अनुचित और अविवेकपूर्ण' तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार किया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर और अधिक शुल्क लगाने की धमकी देने के कुछ ही घंटे बाद विदेश मंत्रालय ने मॉस्को के साथ नयी दिल्ली के ऊर्जा संबंधों की आलोचना को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया। आलोचना को दृढ़ता से खारिज करते हुए भारत ने इस मुद्दे पर उसे निशाना बनाने में दोहरे मापदंड की ओर इशारा किया और कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों ही रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंध जारी रखे हुए हैं। उसने कहा, ‘‘हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है।''

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा एवं इस्पात और मशीनरी एवं परिवहन उपकरण भी शामिल हैं। इसने कहा ‘‘जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायनों का आयात जारी रखे हुए है।''

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस पृष्ठभूमि में, भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।'' विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा ‘‘निशाना बनाया गया है।''

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