अमेरिकी सेना में दाढ़ी रखने पर रोक, चौतरफा विरोध
उत्तरी अमेरिकी पंजाबी एसोसिएशन (एनएपीए) ने इस पर गहरी चिंता और कड़ा विरोध व्यक्त किया है। एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक सतनाम सिंह चहल ने कहा कि इससे सिखों, रूढ़िवादी यहूदियों, मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जिनकी आस्था के अनुसार उन्हें दाढ़ी और अन्य धार्मिक वस्तुएं रखनी पड़ती हैं। चहल ने कहा कि यह कदम उन लोगों के साथ विश्वासघात है, जिन्होंने सशस्त्र बलों में धार्मिक आधार पर छूट पाने के लिए वर्षों तक संघर्ष किया है।
चहल ने कहा, 'यह निर्णय अनुशासन या मारक क्षमता के बारे में नहीं है, यह उन धर्मनिष्ठ सैनिकों की गरिमा और धार्मिक पहचान को छीनने के बारे में है, जो इस देश की निष्ठा और सम्मान के साथ सेवा करते हैं।'
एनएपीए ने ट्रंप प्रशासन, कांग्रेस के सदस्यों और नागरिक अधिकार संगठनों से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि सैकड़ों धर्मनिष्ठ सैन्य कर्मियों को अपनी धार्मिक मान्यताओं और अपने सैन्य करियर के बीच एक असंभव विकल्प चुनने पर मजबूर होना पड़ सकता है।