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Uproar over SIR: संसद के दोनों सदनों में एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा, कार्यवाही बाधित

Uproar over SIR: विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा किया। इसके कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा। इससे पहले विपक्षी सदस्यों...
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फाइल फोटो। वीडियोग्रैब संसद टीवी
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Uproar over SIR: विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा किया। इसके कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा।

इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदन में मौजूद होने की मांग करते हुए हंगामा किया और कार्यवाही आरंभ होने के तीन मिनट के भीतर ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल मानसून सत्र में पिछले कई दिन से SIR के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा कर रहे हैं, जिससे सदन में गतिरोध बना हुआ है।

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सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराए जाने के 80 साल पूरा होने का उल्लेख किया तथा विनाशकारी हथियारों से मुक्त विश्व को लेकर भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। इसके बाद बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू कराया, विपक्षी दलों के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और सवाल करने लगे कि ‘‘प्रधानमंत्री कहां हैं ?'' उन्होंने ‘‘प्रधानमंत्री सदन में आओ'' के नारे लगाए।

उल्लेखनीय है कि सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री से संबंधित विभागों के प्रश्न सूचीबद्ध होते हैं। बिरला ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर तीन मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

बैठक 12 बजे पुन: शुरू हुई तो पीठासीन सभापति दिलीप सैकिया ने आवश्यक कागजात प्रस्तुत कराए। इसी दौरान विपक्ष के सदस्य SIR के मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे। शोर-शराबे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 के लिए मणिपुर राज्य की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण प्रस्तुत किया। इसके बाद पीठासीन सभापति सैकिया ने आसन के समीप नारे लगा रहे विपक्षी सांसदों से अपने स्थान पर जाकर बैठने और कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुए कहा, ‘‘सदन में बैनर और पोस्टर लेकर आना ठीक नहीं है। आप सदन में अपना विषय रखिए लेकिन कार्यवाही बाधित करना उचित नहीं। आपके व्यवहार से देश दुखी है।'' उन्होंने कहा कि विपक्ष को सदन चलाने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। हंगामा नहीं थमने पर सैकिया ने दोपहर 12.05 बजे कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी। दो बजे फिर कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन हंगामा जारी रहा। इसके कारण कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

SIR वोटों की ‘डकैती', इस पर संसद में चर्चा होना जरूरी: विपक्ष

विपक्षी दलों ने बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को बुधवार को वोटों की ‘‘डकैती'' करार दिया और कहा कि इस विषय पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा कराना देशहित के लिए जरूरी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष के कई नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि सरकार SIR पर चर्चा कराने के लिए तैयार नहीं होती तो समझा जाएगा कि वह लोकतंत्र और संविधान में विश्वास नहीं करती है। उनका कहना था कि SIR पर चर्चा की मांग को लेकर समूचा विपक्ष एकजुट है।

खड़गे ने कहा, ‘‘सभी विपक्षी पार्टियां SIR पर चर्चा चाहती हैं। सभी पार्टियों ने लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उप सभापति और सरकार से बार-बार कहा है कि ‘वोट चोरी' पर चर्चा की जाए। मौजूदा सरकार को जहां समझ आता है, वहां वे वोट बढ़ा लेती है और अब वो बिहार में वोट काट रही है।''

उन्होंने कहा, ‘‘हमें SIR पर चर्चा करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि जहां गड़बड़ी हुई है, असंवैधानिक तरीके से काम किया जा रहा है, उस बारे में बात हो और लोगों के अधिकार सुरक्षित हो सकें।''

खड़गे के मुताबिक, अगर लोगों का नाम मतदाता सूची में नहीं होगा तो उनकी नागरिकता पर भी खतरा होगा और संदेह की स्थिति बनेगी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘अब यह कहा गया कि अदालत में विचाराधीन मामले पर चर्चा नहीं हो सकती। लेकिन 21 जुलाई, 2023 को तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि यह सदन हर विषय पर चर्चा कर सकता है।''

उन्होंने दावा किया, ‘‘अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, मनरेगा कामगारों के नाम मतदाता सूची से कट रहे हैं। जो गरीबों का हक छीनना चाहते हैं, वो चोर ही हो सकते हैं।'' खड़गे ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि SIR पर चर्चा होनी चाहिए। इस मुद्दे पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं और हम (सरकार को) मनवाएंगे। अगर वो (सरकार) नहीं मानेंगे तो हम समझेंगे कि वो संविधान और लोकतंत्र को नहीं मानते हैं।'' उन्होंने कहा कि विपक्षी दल देशहित में यह विषय उठा रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने कहा, ‘‘SIR वोट चोरी करने का माध्यम है और हम इसके खिलाफ लगातार लड़ रहे हैं। SIR हमारे संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में बांग्लाभाषी लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है। सागरिका ने कहा, ‘‘बंगाल का घोर अपमान किया जा रहा है।''

उन्होंने कहा कि SIR के खिलाफ आगामी सोमवार को निर्वाचन आयोग तक मार्च किया जाएगा। द्रमुक नेता तिरुचि शिवा ने कहा, ‘‘हमें लोकतंत्र के इस मंदिर पर पूरा विश्वास है। इसमें SIR पर चर्चा होनी चाहिए।''

उन्होंने आरोप लगाया कि SIR के माध्यम से बहुत सारे नागरिकों को मताधिकार से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। द्रमुक सांसद ने कहा, ‘‘नागरिकता का प्रमाण मांगना निर्वाचन आयोग का काम नहीं है...हमें चिंता है कि विपक्ष के समर्थक मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है।'' उनका कहना था, ‘‘सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि SIR पर चर्चा के लिए समय आवंटित हो।''

राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोझ झा ने दावा किया, ‘‘मेरे साथी इसे वोट की चोरी बता रहे हैं। लेकिन चोरी नहीं, बल्कि डकैती है। दिन-दहाड़े डकैती की जा रही है।'' उनका कहना था, ‘‘अगर हम संसद को सुरक्षित नहीं रख पाए, तो यह लोकतंत्र भी सुरक्षित नहीं रहेगा।''

विपक्ष ने खेल से संबंधित विधेयकों को जेपीसी को भेजने की मांग की

कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया कि लोकसभा की कार्यसूची में सूचीबद्ध खेल से संबंधित दो विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के विचार के लिए भेजा जाए। विपक्षी दलों ने कहा कि ये विधेयक राष्ट्रीय महत्व के हैं और इन पर व्यापक सहमति की जरूरत है।

बिरला को लिखे गए पत्र में राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ये दोनों विधेयक खेलों के शासन और नियमन में व्यापक सुधार से संबंधित है तथा इनका ‘‘हमारे खेल, खिलाड़ियों, खेल संघों और अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में भारत की स्थिति'' पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

पत्र पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल एवं गौरव गोगोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सांसद सुप्रिया सुले, शिवसेन (उबाठा) के अरविंद सांवत तथा कई अन्य विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को जेपीसी के पास भेजा जाए ताकि सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श हो सके। विपक्षी सांसदों ने उम्मीद जताई कि भारत में खेल तंत्र में उचित और प्रभावी प्रशासनिक सुधार के लिए उनके आग्रह को संज्ञान में लिया जाएगा। ये दोनों विधेयक वर्तमान मानसून सत्र में लोकसभा की कार्यसूची में पिछले कुछ दिनों से सूचीबद्ध हैं।

राज्यसभा में आज भी शून्यकाल नहीं हो पाया

हार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस आसन द्वारा खारिज किए जाने के विरोध में विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के दस मिनट बाद दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। दोपहर दो बजे फिर कार्यवाही शुऱू हुई, लेकिन हंगामा जारी रहा।

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर पूर्व सदस्य सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि दी गई। 79 वर्षीय मलिक का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को नयी दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया था। दिवंगत पूर्व सदस्य को श्रद्धांजलि देने के बाद उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर नियत कामकाज स्थगित कर चर्चा करने के लिए उन्हें नियम 267 के तहत 35 नोटिस मिले हैं।

उपसभापति ने बताया कि ये नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं पाए गए अत: इन्हें खारिज कर दिया गया है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। कुछ सदस्यों ने जानना चाहा कि उनके नोटिस क्यों खारिज किए गए। उपसभापति ने कहा कि उन्होंने इस बारे में कल सदन में विस्तार से जानकारी दी थी। हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा कि कल कई सदस्यों ने उनसे मुलाकात कर कहा कि वे शून्यकाल के तहत अपने मुद्दे उठाना चाहते हैं।

उपसभापति ने कहा, ‘‘मुझसे मिलने वाले सदस्यों ने कहा कि वे अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं क्योंकि वे लोकमहत्व के मुद्दे उठाना चाहते हैं। इन सदस्यों को मौका दिया जाना चाहिए ताकि वे अपने मुद्दे उठा सकें।'' उन्होंने अपने स्थानों से आगे आकर हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने तथा कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया।

उन्होंने पूछा, ‘‘क्या आप नहीं चाहते कि सदन में शून्यकाल चले और लोक महत्व से जुड़े मुद्दे उठाए जाएं।'' सदन में व्यवस्था बनते न देख उपसभापति ने 11 बजकर दस मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ है और तब से आज तक विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में एक बार भी शून्यकाल नहीं हो पाया है।

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