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UP Politics : अखिलेश का तीखा वार- EC ने भाजपा के दबाव में वीडियो फुटेज नष्ट करने का लिया फैसला

देश के सबसे बड़े डेटा सेंटर उत्तर प्रदेश में बनाए जा रहे
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लखनऊ, 22 जून (भाषा)

UP Politics : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के 45 दिन बाद वीडियो फुटेज नष्ट करने का निर्वाचन आयोग का फैसला संभवतः "भाजपा के दबाव में" लिया गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि हम इसका विरोध करेंगे और अपने विचार रखेंगे। अगर सवाल यह है कि डेटा कहां स्टोर किया जाए, तो इस पर विचार करें: देश के अधिकांश घरों और दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं; डेटा घरों और दुकानों में भी संग्रहीत है।

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उन्होंने कहा कि यह सरकार दावा करती है कि देश के सबसे बड़े डेटा सेंटर उत्तर प्रदेश में बनाए जा रहे हैं। राज्य सरकार डेटा सेंटर मालिकों के लिए विशेष पैकेज पेश कर रही है। जब इतने बड़े डेटा सेंटर बनाए जा रहे हैं, तो चुनाव डेटा स्टोर करने के लिए जगह कैसे नहीं हो सकती? यह महत्वपूर्ण है कि चुनाव संबंधी डेटा सुरक्षित रखा जाए। तभी कभी कोई शिकायत होने पर कार्रवाई की जा सकेगी। मुझे लगता है कि निर्वाचन आयोग भाजपा के दबाव में ऐसा निर्णय ले रहा है।

आयोग ने अपने इलेक्ट्रॉनिक डेटा का उपयोग ‘दुर्भावनापूर्ण विमर्श' गढ़ने के लिए किए जाने की आशंका के चलते अपने राज्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यदि 45 दिन में चुनाव को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती तो वे सीसीटीवी कैमरा, वेबकास्टिंग और चुनाव प्रक्रिया के वीडियो फुटेज को नष्ट कर दें। मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की मांग उठने के बाद आयोग के अधिकारियों ने कहा कि इससे मतदाताओं की निजता और सुरक्षा संबंधी चिंताओं का उल्लंघन होगा।

हालांकि ऐसी मांगें काफी वास्तविक लग सकती हैं और इस विमर्श के अनुकूल हो सकती हैं कि यह मतदाताओं के हित में है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए है, लेकिन वास्तव में यह प्रतिकूल हैं। मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा के उपचुनाव में मतदान का जिक्र करते हुए, यादव ने कहा कि उस समय की सीसीटीवी फुटेज निकालनी चाहिए, जिसमें तमाम गड़बड़ी हुई।

यादव ने दावा किया कि वे कहते हैं कि निजता का हनन हो रहा है। यह निजता का मामला नहीं है। यह वोट लूटने के लिए पुलिस द्वारा किया गया माफिया कृत्य है। इसका पर्दाफाश होना चाहिए। हम निर्वाचन आयोग से कहेंगे कि इससे हमारी निजता का हनन नहीं होगा। अगर उन्हें मतदाताओं से हलफनामा चाहिए तो हम मतदाताओं से हलफनामा जमा करने का अनुरोध करेंगे।

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