विश्वविद्यालयों को काउंसलिंग से पहले बतानी होगी फीस
नयी दिल्ली, 22 मई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने स्नातकोत्तर मेडिकल प्रवेश में बड़े पैमाने पर सीट रोकने (ब्लॉक करने) के चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों को नीट-पीजी के लिए काउंसलिंग से पहले शुल्क का खुलासा अनिवार्य कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीट रोकने की कुप्रथा सीट की वास्तविक उपलब्धता को विकृत कर देती है, अभ्यर्थियों के बीच असमानता को बढ़ावा देती है और अकसर प्रक्रिया को योग्यता के बजाय संयोग-आधारित बना देती है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘सभी निजी/मानद विश्वविद्यालयों द्वारा काउंसलिंग-पूर्व शुल्क का खुलासा करना अनिवार्य किया जाए, जिसमें ट्यूशन, छात्रावास, कॉशन डिपॉजिट और विविध शुल्क का विवरण शामिल हो। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के तहत एक केंद्रीकृत शुल्क विनियमन ढांचा स्थापित किया जाए।’ पीठ ने अधिकारियों को सीट रोकने पर सख्त दंड देने का आदेश दिया, जिसमें सुरक्षा जमा राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) जब्त करना, भविष्य की नीट-पीजी परीक्षाओं से अयोग्य घोषित करना और दोषी कॉलेज को काली सूची में डालना शामिल है। शीर्ष अदालत का फैसला उत्तर प्रदेश सरकार और चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक, लखनऊ द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2018 में पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी।