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UNICEF India Workshop: सर्वाइकल कैंसर और सड़क सुरक्षा पर मीडिया की भूमिका पर मंथन

UNICEF India Workshop: यूनिसेफ ने आयोजित की दो दिवसीय राष्ट्रीय ट्रेनर्स ऑफ ट्रेनर्स वर्कशॉप

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नयी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जानकारी देते विशेषज्ञ। ट्रिब्यून
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UNICEF India Workshop: दुनिया के 180 देशों में वंचित बच्चों और किशोरों के हित में काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने भारत में किशोर-किशोरियों को सर्वाइकल कैंसर और सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के उद्देश्य से एक नई पहल की शुरुआत की है। इसी के तहत यूनिसेफ इंडिया द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय ‘ट्रेनर्स ऑफ ट्रेनर्स वर्कशॉप’ आयोजित की गई, जिसमें देशभर के वरिष्ठ संपादक, स्वास्थ्य पत्रकार, मीडिया शिक्षाविद और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हुए।

वर्कशॉप का उद्देश्य किशोर स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों पर मीडिया की भूमिका को सशक्त बनाना था। उद्घाटन सत्र में यूनिसेफ इंडिया की कम्युनिकेशन प्रमुख जाफरिन चौधरी ने कहा कि युवा सटीक, वैज्ञानिक और जिम्मेदार जानकारी पाने के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया को तकनीकी और चिकित्सीय जानकारी को संवेदनशीलता के साथ आम जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

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यूनिसेफ कंट्री ऑफिस के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. विवेक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर ऐसा एकमात्र कैंसर है, जिसे वैक्सीन से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि मीडिया इस विषय को प्राथमिकता दे, तो महिलाएं समय रहते जांच और उपचार प्राप्त कर सकती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि हर सड़क दुर्घटना रोकी जा सकती है, बशर्ते समाज और शासन इसे साझा जिम्मेदारी के रूप में देखें।

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वर्कशॉप का विषय था  ‘उभरती किशोर स्वास्थ्य चुनौतियां: सर्वाइकल कैंसर और सड़क सुरक्षा’। सत्रों में बताया गया कि वर्ष 2022 में भारत में सर्वाइकल कैंसर के 79,103 नए मामले दर्ज हुए और 34,805 महिलाओं की मृत्यु हुई, जबकि यह बीमारी वैक्सीन और समय पर जांच से रोकी जा सकती है। वहीं, सड़क दुर्घटनाओं में हर साल 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है, जिनमें बच्चे और युवा सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

सत्रों में ‘क्रिटिकल अप्रेजल स्किल्स’ और तथ्य-आधारित रिपोर्टिंग तकनीकों पर भी गहन चर्चा हुई। यूनिसेफ की कम्युनिकेशंस ऑफिसर सोनिया सरकार ने बताया कि एम्स की डॉ. पल्लवी शुक्ला, निमहंस के डॉ. गौतम एम. सुकुमार और यूनिसेफ मध्य प्रदेश के अनिल गुलाटी ने भी वर्कशॉप को संबोधित किया।

प्रतिभागियों ने यह भी सीखा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का उपयोग डेटा विश्लेषण, शोध अनुवाद और तथ्य-आधारित रिपोर्टिंग को बेहतर बनाने में कैसे किया जा सकता है। वर्कशॉप के बाद प्रशिक्षित विशेषज्ञ अब महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और कर्नाटक में राज्य स्तरीय मीडिया प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे, ताकि किशोर स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्टिंग को और अधिक सटीक, मानवीय और प्रभावी बनाया जा सके।

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