मथुरा, 5 जुलाई (एजेंसी)उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में शादी से नाखुश एक युवती ने पति से पीछा छुड़ाने के लिए प्रेमी के साथ मिलकर उसके खिलाफ ऐसी साजिश रची जिससे पति जेल चला जाए और उसे छुटकारा मिल जाए। लेकिन उसी के मोबाइल फोन ने पुलिस के सामने साजिश का खुलासा कर दिया और पोल खुल गई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अलीगढ़ के थाना खैर के अंतर्गत रहने वाली युवती का नोएडा में नौकरी के दौरान ही विकास से प्रेम प्रसंग चल रहा था। इस बीच युवती की शादी कोसीकलां निवासी एक अन्य युवक से हो गई। इसलिए उसने प्रेमी के हाथों पति की कार में अवैध पिस्तौल रखवाकर उसे गिरफ्तार करवाने की साजिश रची, लेकिन पासा उलटा पड़ गया और प्रेमी को जेल भेज दिया गया। अब युवती के ऊपर भी तलवार लटकी हुई है। कोसीकलां थाना प्रभारी इंस्पेक्टर प्रमोद पवार ने बताया, ‘‘रविवार को गौतमबुद्ध नगर जिले के थाना दनकौर के गांव कनालसी निवासी विकास नागर ने कोटवन पुलिस चौकी में कार का नंबर बताते हुए सूचित किया कि एक युवक पत्नी के साथ कार में अवैध पिस्तौल लेकर जा रहा है। सूचना पर पुलिस ने कार को मौके पर रोक लिया और वाहनों की तलाशी शुरू कर दी।” उन्होंने बताया, ‘‘उक्त कार की तलाशी लेने पर बिना लाइसेंस वाली पिस्तौल मिली। पुलिस ने पति-पत्नी से पिस्तौल के बारे में पूछा तो दोनों से इस बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही। लेकिन युवती की बातों से पुलिस को उस पर संदेह हुआ। पुलिस ने उसका मोबाइल फोन लेकर जांचा तो शिकायतकर्ता विकास का फोन नंबर मिल गया जिस पर कुछ ही देर पहले बात हुई थी। फोन के पिछले रिकॉर्ड में भी कई बार लंबे समय तक उस नंबर पर बात किए जाने के प्रमाण मिले। इसके बाद पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ की तो सारा मामला सामने आ गया।” पवार ने बताया कि विकास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादसं) की धारा 203, 211, 120 (बी) व 25 तथा शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। वहीं, साजिश रचने वाली प्रेमिका तथा इसमें उसका साथ देने वाले उसके भतीजे काशी के खिलाफ भादसं की धारा 203, 211 व 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।