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यूनेस्को ने दीपावली को घोषित किया ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’

कुंभ समेत देश की 15 सांस्कृतिक परंपराएं इस सूची में पहले से हैं शामिल
दीपावली को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ सूची में शामिल करने की खुशी में बुधवार कासे नयी दिल्ली के दिल्ली हाट में कलाकार नृत्य करते हुए। -मानस रंजन भुई
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यूनेस्को ने दीपावली को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ सूची में शामिल किया है। दिल्ली स्थित लाल किले में बुधवार को आयोजित यूनेस्को की एक अहम बैठक में इसकी घोषणा की गई। इसके साथ ही ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे हवा में गूंज उठे। विभिन्न पारंपरिक परिधानों में सजे कलाकारों ने मुख्य मंच के सामने प्रस्तुति दी।

यह पहली बार है कि भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है। इस समिति का 20वां सत्र लाल किले में 13 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि इससे त्योहार की वैश्विक लोकप्रियता में और वृद्धि होगी। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत और दुनिया भर के लोग रोमांचित हैं।’

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि दीपावली को इस सूची में शामिल करके यूनेस्को ने नवीकरण, शांति और अच्छाई की जीत के लिए शाश्वत मानवीय अभिलाषा का सम्मान किया है।

मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होने वाली यह भारत की 16वीं सांस्कृतिक परंपरा है। इससे पहले कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा और रामलीला भी इससे सूची में शामिल हैं।

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