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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार अब अनिवार्यता : मोदी

प्रधानमंत्री ने इब्सा नेताओं के शिखर सम्मेलन में उठाया मुद्दा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जोहानिसबर्ग में जी20 सम्मेलन से इतर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा (मध्य) और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनेसियो लूला डी सिल्वा के साथ।-प्रेट्र
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा कि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका (इब्सा) के त्रिपक्षीय मंच को यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि सुरक्षा परिषद में बदलाव अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है।

मोदी ने रविवार को यहां इब्सा नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया बिखरी और विभाजित नजर आती है, इब्सा एकता, सहयोग और मानवता का संदेश दे सकता है। उन्होंने तीनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए इब्सा एनएसए स्तरीय बैठक को संस्थागत बनाने का भी प्रस्ताव रखा।

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दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा की मौजूदगी में आयोजित बैठक में मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें करीबी समन्वय के साथ आगे बढ़ना होगा। इतने गंभीर मुद्दे पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं है।’ मानव-केंद्रित विकास सुनिश्चित करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने तीनों देशों के बीच ‘इब्सा डिजिटल नवाचार गठबंधन’ की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इब्सा केवल तीन देशों का समूह नहीं है, बल्कि यह तीन महाद्वीपों, तीन प्रमुख लोकतांत्रिक देशों और तीन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। मोदी ने अगले वर्ष भारत में आयोजित होने वाले ‘एआई इम्पैक्ट’ शिखर सम्मेलन में इब्सा नेताओं को आमंत्रित किया।

एआई का दुरुपयोग रोकने के लिए समझौते का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का दुरुपयोग रोकने के लिए एक वैश्विक समझौते का रविवार को आह्वान किया। उन्होंने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को वित्त-केंद्रित के बजाय मानव-केंद्रित बनाने पर भी जोर दिया। जी20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग राष्ट्रीय के बजाय वैश्विक होने चाहिए और इन्हें ओपन सोर्स पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का इस्तेमाल वैश्विक भलाई के लिए हो और इसका दुरुपयोग रोका जाए। ऐसा करने के लिए, हमें कुछ मूल सिद्धांतों पर आधारित एआई पर एक वैश्विक समझौते की आवश्यकता होगी, जिसमें प्रभावी मानवीय निगरानी, ​​डिजाइन के जरिये सुरक्षा, पारदर्शिता और डीप फेक, अपराध तथा आतंकवादी गतिविधियों में एआई के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध शामिल हो।’

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