वैध वीजा के बावजूद ब्रिटेन की हिंदी विद्वान को भारत में नहीं मिला प्रवेश
हिंदी की विश्व-प्रसिद्ध विद्वान और लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज की प्रोफेसर एमेरिटा फ्रांसेस्का ओरसिनी को वैध पांच वर्षीय ई-वीज़ा होने के बावजूद भारत में प्रवेश से कथित तौर पर रोक दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘द हिंदी पब्लिक स्फीयर, 1920-1940’ के लिए प्रसिद्ध शिक्षाविद ओरसिनी सोमवार देर रात हांगकांग से नयी दिल्ली पहुंचीं। बताया गया कि कथित तौर पर उन्हें दिल्ली हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने रोक लिया और वापस भेज दिया। इस घटना से शैक्षणिक और राजनीतिक हलकों में व्यापक आक्रोश है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने इसे सरकार के संकीर्ण दृष्टिकोण का प्रतीक बताया।
प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी कहा कि ओरसिनी की विद्वता ने ‘हमारी अपनी सांस्कृतिक विरासत की समझ को प्रकाशित किया है’ और उन्हें प्रवेश से वंचित करना ‘ज्ञान की अवधारणा और संस्कृति का अपमान है।’ गृह मंत्रालय या आव्रजन अधिकारियों की ओर से अभी तक ओरसिनी को देश में प्रवेश न देने के कारणों के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। बताया गया कि अभी प्रवेश से रोकी गयीं ओर्सिनी अक्सर भारत आती रहती हैं।