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Udaipur Files Dispute : ‘उदयपुर फाइल्स’ पर नहीं लगेगी ब्रेक, कोर्ट ने फास्ट ट्रैक सुनवाई से किया इनकार

न्यायालय का ‘उदयपुर फाइल्स' की ‘स्क्रीनिंग' के खिलाफ याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार
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नयी दिल्ली, 9 जुलाई (भाषा)

Udaipur Files Dispute : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर' फिल्म की स्क्रीनिंग को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और कहा कि ‘‘पहले फिल्म को रिलीज होने दें''।

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न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जे. बागची की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब हत्या के मामले में एक आरोपी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि फिल्म की रिलीज से मामले की सुनवाई पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वकील ने कहा कि फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होगी और फिल्म के निर्माताओं ने फिल्म का ट्रेलर जारी कर दिया है तथा ऐसी आशंका है कि इससे मामले की सुनवाई प्रभावित होगी और आरोपी के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन होगा।

पीठ ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘फिल्म को रिलीज होने दीजिए। आप (ग्रीष्मावकाश के बाद अदालत के दोबारा खुलने पर) नियमित पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख कीजिए।'' इस मामले में आठवें आरोपी के रूप में मुकदमे का सामना कर रहे मोहम्मद जावेद ने यह याचिका दायर की थी।

मोहम्मद जावेद ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि फिल्म अपने ट्रेलर और प्रचार सामग्री से ‘‘सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ'' प्रतीत होती है, जिसमें आरोपी को दोषी के रूप में चित्रित किया गया है और फिल्म की कहानी को निर्णायक रूप से सच बताया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस समय फिल्म को रिलीज करने से मौजूदा अदालती कार्यवाही पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है।

राजस्थान के उदयपुर में रहने वाले दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने घृणा अपराध के कारण कथित तौर पर हत्या कर दी थी। हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद उनके समर्थन में दर्जी कन्हैया लाल शर्मा के सोशल मीडिया खाते पर कथित तौर पर साझा किए एक पोस्ट के जवाब में उसकी हत्या की गई थी।

इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।

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