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रूस-यूक्रेन जंग में जान गंवाने वाले सोनू को दी श्रद्धांजलि

हिसार के गांव मदनहेड़ी में अंत्येष्टि

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नारनौंद के गांव में बुधवार को सोनू का पार्थिव शरीर जैसे ही पहुंचा परिजन रोने-बिलखने लगे। -निस
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रूस-यूक्रेन युद्ध में हरियाणा का एक और बेटा बलिदान हो गया। हिसार जिले के गांव मदनहेड़ी निवासी 28 वर्षीय सोनू की मौत की पुष्टि हो गई है। परिवार के अनुसार, सोनू को धोखे से रूस की सेना में भर्ती कर युद्ध में भेजा गया था। बुधवार सुबह उसका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव मदनहेड़ी में लाया गया, जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान विधायक जस्सी पेटवाड़, नायब तहसीलदार कृष्ण कुमार सहित ग्रामीणों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

सोनू के चचेरे भाई अनिल ने बताया कि रूसी आर्मी के कमांडर का फोन आया था, जिसमें उन्होंने बताया गया कि यूक्रेन के ड्रोन हमले में सोनू की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि शव एयरलिफ्ट कर बुधवार सुबह तक भारत पहुंच जाएगा। रात को ही मृतक सोनू के स्वजन उनका पार्थिव शरीर लेने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच गए थे। बुधवार सुबह उनका पार्थिव शरीर एयरपोर्ट पर पहुंच गया था और उसके बाद शव को उनके पैतृक गांव लाया गया और अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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मृतक के चचेरे भाई अनिल ने बताया कि सोनू मई, 2024 में फॉरेन लेंग्वेज कोर्स करने रूस गया था। गांव का ही 24 वर्षीय अमन भी उसके साथ गया था। तीन सितंबर को सोनू ने आखिरी बार फोन किया था और बताया था कि उसे जबरन सेना में भर्ती किया जा रहा है। इसके बाद 19 सितंबर को रूस से एक पत्र आया, जिसमें लिखा था कि सोनू 6 सितंबर से लापता है। 6 अक्तूबर को रूस की सेना ने दोबारा पत्र भेजकर बताया कि सोनू की युद्ध में मौत हो गई है। हालांकि, परिवार का कहना है कि भेजा गया शव किसी और का हो सकता है, क्योंकि फोटो में शव की हालत बहुत खराब है और पहचान करना मुश्किल है।

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मां बोली-जालसाजी करके मार दिया बेटा

मृतक सोनू की मां कमलेश देवी ने बताया कि ऐसा कभी नहीं सोचा था कि सोनू हमें बीच रास्ते ही छोड़ जाएगा। विदेश में काम के लिए गया था, लेकिन जालसाजी करके मेरे बेटे को मार दिया गया। सरकार से मांग है कि हमें न्याय दिलाया जाए और जो भारतीय वहां फंसे हुए हैं, सरकार उन्हें जल्द से जल्द भारत लेकर आए।

झांसा देकर भर्ती कर लिया रूस की सेना में : अमन

गांव मदनहेड़ी का ही अमन नामक युवक का हाल ही में परिवार को वीडियो मैसेज मिला था। करीब एक मिनट के वीडियो में अमन ने बताया कि 25 अगस्त को उसे गार्ड की नौकरी का झांसा देकर रूस बुलाया गया, लेकिन बाद में जबरन रूसी आर्मी में भर्ती कर लिया गया। 12 दिन की ट्रेनिंग के बाद उसे सीधे बॉर्डर पर लड़ने भेज दिया गया। अमन ने कहा था कि यहां रोज बमबारी होती है, हर दिन कोई न कोई आंखों के सामने मरता है, पता नहीं अगला नंबर किसका होगा।

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