नयी दिल्ली, 29 जनवरी (ट्रिन्यू)
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने पहली बार ऐसा अध्ययन किया है जिसमें दो-दो चिकित्सा पद्धतियों (एलोपैथी व आयुर्वेद) को मिलाकर बीजीआर-34 की नयी ताकत का पता चला है। एलोपैथी और बीजीआर-34, दो दवाओं को एक साथ देने से मधुमेह तेजी से कम होता है और इस रोग के कारण होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को भी कम किया जा सकता है। रक्तकोशिकाओं में यह बुरे कोलेस्ट्रोल को नहीं जमने देता है।
सीएसआईआर द्वारा विकसित आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 की एंटी डायबिटिक क्षमता का पता लगाने के लिए एम्स के डॉक्टरों ने यह अध्ययन किया है। एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के डा. सुधीर चंद्र सारंगी की निगरानी में यह अध्ययन तीन चरणों में किया जा रहा है जिसका पहला चरण करीब डेढ़ साल की मेहनत के बाद अब पूरा हुआ है।
इस अध्ययन के अनुसार बीजीआर-34 और एलोपैथिक दवा ग्लिबेनक्लामीड का पहले अलग-अलग और फिर एक साथ परीक्षण किया गया। दोनों ही परीक्षण के परिणामों की तुलना करने पर पता चला कि इनको एक साथ देने से असर दोगुना होता है। इससे इंसुलिन के स्तर को बहुत तेजी से बढ़ावा मिलता है और लेप्टिन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है। इंसुलिन का स्तर बढ़ने से मधुमेह नियंत्रित होने लगता है। लेप्टिन हार्मोन कम होने से मोटापा और मेटाबॉलिज्म से जुड़े अन्य नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
इसके इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल में ट्राइग्लिसराइड्स एवं वीएलडीएल का स्तर भी कम हो रहा है। इससे साफ है कि मधुमेह रोगी में हार्ट अटैक की आशंका कम होने लगती है।
यह एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्राल के स्तर को बढ़ाकर धमनियों में ब्लॉकेज नहीं होने देती है। इससे पहले तेहरान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी एंटी आक्सीडेंट की मात्रा से प्रचुर हर्बल दवाओं के जरिए मधुमेह रोगियों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने को लेकर अध्ययन प्रकाशित कर चुके हैं।