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Travelling In India : 7,000 साल साल पुराना है भगवान श्रीराम का रामसेतु, आप भी नहीं जानते होंगे ये राज

Travelling In India : 7,000 साल साल पुराना है भगवान श्रीराम का रामसेतु, आप भी नहीं जानते होंगे ये राज
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चंडीगढ़, 20 अप्रैल (ट्रिन्यू)

रामसेतु, जिसे आदम्स ब्रिज (Adam's Bridge) भी कहा जाता है, भारत और श्रीलंका के बीच स्थित एक रहस्यमयी पत्थरों की श्रृंखला है। यह सेतुबंध रामायण काल से जुड़ा एक ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल है, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। हिंदू धर्म के अनुसार, इस सेतु का निर्माण भगवान राम की वानर सेना ने लंका जाने के लिए किया था। आज यह न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है बल्कि वैज्ञानिक शोध और पुरातत्व की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।

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वानर सेना ने किया था रामसेतु का निर्माण

वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब रावण ने सीता माता का हरण किया, तब भगवान राम ने उन्हें छुड़ाने के लिए लंका पर चढ़ाई करने का निश्चय किया। चूंकि लंका एक द्वीप था, इसलिए वहां तक पहुंचने के लिए समुद्र पार करना आवश्यक था। तब वानर राज नल के नेतृत्व में वानरों ने समुद्र पर एक पत्थरों का पुल बनाया। यह पुल ही "सेतुबंध" या "राम सेतु" कहलाया। यह सेतु भगवान राम की भक्ति, संगठन शक्ति और मानवता के विजय का प्रतीक माना जाता है।

7,000 साल साल पुराना

राम सेतु बंगाल की खाड़ी व मन्नार की खाड़ी के बीच स्थित है, जो पंबन द्वीप (भारत) से मन्नार द्वीप (श्रीलंका) तक फैला है। इसकी लंबाई 30 किलोमीटर है। यह मुख्यतः चूना पत्थर से बना हुआ प्रतीत होता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, रामसेतु की उम्र करीब 7,000 साल बताई जाती है, जो इसे रामायण काल से जोड़ने की एक और कड़ी प्रदान करती है। हालांकि इसकी पुष्टि अभी भी विवादित है।

सेटेलाइट से दिखाई देने वाली संरचना

रामसेतु की एक खास बात यह है कि यह संरचना सेटेलाइट इमेजेस में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। NASA और ISRO जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस संरचना की तस्वीरें ली हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कोई प्राकृतिक रेत की श्रृंखला नहीं बल्कि एक सुनियोजित पथ जैसा है।

तैरने वाले पत्थर

रामसेतु से जुड़ी एक और रहस्यमयी बात यह है कि इसके निर्माण में प्रयुक्त पत्थर पानी में तैरते थे। आज भी रामेश्वरम के कई मंदिरों में ऐसे पत्थर दिखाए जाते हैं जो पानी में डूबते नहीं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह संभवतः प्यूमिस स्टोन हो सकता है, जो ज्वालामुखी गतिविधियों से बना हल्का पत्थर होता है। आज के समय में राम सेतु एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है।

रामेश्वरम और धनुषकोड़ी जैसे स्थानों से पर्यटक नावों के द्वारा राम सेतु के आसपास के हिस्सों को देख सकते हैं। समुद्र के भीतर यह सेतु एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है। कई बार समुद्र का जलस्तर इतना कम होता है कि यह संरचना सतह पर दिखने लगती है।

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