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ट्रंप तेल देखें और तेल की धार... रूस से व्यापार होगा सौ अरब डॉलर पार

जारी रह सकती है कच्चे तेल की आपूिर्त

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नयी दिल्ली में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। -प्रेट्र
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक संबंधों को व्यापक बनाने की घोषणा की है। व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए दोनों पक्षों ने पंचवर्षीय योजना पर सहमति जताई है। दोनों पक्षों ने संकेत दिया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव को नजरअंदाज करते हुए कच्चे तेल का व्यापार जारी रहेगा। पुतिन के साथ शिखर वार्ता के बाद मोदी ने कहा कि भारत-रूस की दोस्ती ध्रुव तारे की तरह अटल बनी हुई है। पुतिन ने कहा, ‘रूस तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए तैयार है।’

नयी दिल्ली और मॉस्को ने अपने लंबे समय से चले आ रहे संबंधों में शुक्रवार को कई आयाम जोड़े और द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 68 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा। दोनों पक्षों ने श्रम गतिशीलता पर समझौते पर हस्ताक्षर किए, पर्यटन के लिए नये ई-वीजा का ऐलान किया और चिकित्सा शिक्षा का विस्तार किया। सैन्य उपकरणों और ऊर्जा के पारंपरिक संपर्कों से परे संबंधों में विविधता लाने के लिए उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई।

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दोनों के बीच वार्षिक शिखर वार्ता के बाद इन फैसलों की घोषणा की गई। पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कहा, ‘भारत हमेशा से चाहता है कि एक शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान निकले।’

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इससे पहले सुबह पुतिन को राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुतिन के लिए रात्रिभोज की मेजबानी की। इसके बाद पुतिन माॅस्को के लिए रवाना हुए।

कई समझौताें पर हस्ताक्षर

‘गतिशीलता समझौते’ को अहम माना जा रहा है, जो भारतीय पेशेवरों को रूस में काम करने की अनुमति देगा। दोनों नेताओं ने व्यापार विस्तार, आर्कटिक नेविगेशन पर सहयोग और असैन्य परमाणु ऊर्जा पर काम जारी रखने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों और कृषि वस्तुओं के रूस को निर्यात के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। चिकित्सा शिक्षा, पर्यावरण, अंतरिक्ष और रूस में भारतीय उर्वरक इकाई स्थापित करने के लिए भी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। रूसी हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए कल-पुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त निर्माण को प्रोत्साहित करने पर भी सहमति व्यक्त की गई।

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