मुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

भारत-ईयू एफटीए के साथ आगे बढ़ने का समय आ गया : जयशंकर

आईआईसी-ब्रूगेल वार्षिक संगोष्ठी
नयी दिल्ली में मंगलवार को आईआईसी- ब्रूगेल वार्षिक संगोष्ठी को संबोधित करते विदेश मंत्री एस जयशंकर। साथ हैं जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा। -मुकेश अग्रवाल
Advertisement

नयी दिल्ली, 4 फरवरी (ट्रिन्यू)

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता का उल्लेख करते हुए कहा, ‘अब समय आ गया है कि हम इस पर आगे बढ़ें।’ जयशंकर ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में यूरोपीय आयोग के साथ अधिक गहन जुड़ाव हुआ है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह जुड़ाव और भी अधिक होगा। जयशंकर यहां आईआईसी-ब्रूगेल वार्षिक संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

Advertisement

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर बहुपक्षवाद के लिए अपने प्रयास को दोहराया और कहा कि पूर्व और पश्चिम के देशों के लिए अलग-अलग मानक लागू किए गए हैं। जयशंकर ने कहा, ‘इतनी अस्थिर और अनिश्चित दुनिया में एक मजबूत भारत-ईयू संबंध एक महत्वपूर्ण स्थिर कारक हो सकता है।’

भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया में मौजूदा तनाव के कारण इसकी गति धीमी हो सकती है, लेकिन इसमें सुदूर पूर्व को पश्चिमी यूरोप और उससे आगे जोड़ने की क्षमता है। जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए विकसित देशों से विकासशील देशों को संसाधनों के हस्तांतरण में मंदी के बारे में चिंता व्यक्त की।

भारत और यूरोपीय संघ के स्पष्ट रूप से समान हित और साझा मूल्य हैं। मंत्री ने कहा कि प्राथमिकताओं और विशिष्टताओं पर कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जो चीज उन्हें जोड़ती है वह है भावना जो बहुत मजबूत है। किसी देश का नाम लिए बिना उन्होंने यह भी कहा कि ‘हमारे अपने महाद्वीप में अंतर्राष्ट्रीय कानून की अवहेलना की गई है, जिसके गंभीर परिणाम हुए हैं।’

भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी वैश्विक विकास के लिए अहम : वोहरा

नयी दिल्ली (ट्रिन्यू) : वैश्विक विकास और तकनीकी उन्नति के लिए भारत और यूरोपीय संघ के बीच साझेदारी महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्थिरता, सुरक्षा और शांति के लिए अहम है।

भारत-यूरोपीय संघ गोलमेज सम्मेलन (2001-2008) के पहले सह-अध्यक्ष रहे वोहरा यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और यूरोप के थिंक-टैंक ब्रूगेल द्वारा आयोजित सेमिनार के दूसरे संस्करण में बोल रहे थे। भारत और यूरोपीय संघ की व्यापार, आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और एआई जैसी साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा के लिए सेमिनार मंगलवार को शुरू हुआ।

वोहरा ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ का संबंध क्रेता-विक्रेता व्यवस्था से घनिष्ठ और व्यापक साझेदारी में विकसित हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हम एक-दूसरे के मुद्दों के बारे में भरोसेमंद समझ विकसित कर चुके हैं।’

भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर नौ दौर की बातचीत हो चुकी है। वोहरा ने कहा, ‘दोनों पक्ष प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने अपनी आर्थिक साझेदारी के लिए छह सूत्री योजना की घोषणा की है। व्यापार समझौता संतुलित और दोनों पक्षों के लिए समान रूप से लाभप्रद होना चाहिए।’

रक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, परमाणु सहयोग, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि को सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में उद्धृत करते हुए वोहरा ने कहा, भारत और यूरोपीय संघ बहुध्रुवीय दुनिया में स्वाभाविक साझेदार हैं। इंडो-पैसिफिक में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ की रणनीति ने एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए नियम तय किए हैं। वोहरा ने याद किया कि भारत-यूरोपीय संघ गोलमेज सम्मेलन ने गहरी समझ को कैसे बढ़ावा दिया।

Advertisement