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अब तक केवल 18 मुस्लिम महिलाएं पहुंचीं लोकसभा

'मिसिंग फ्रॉम द हाउस...' पुस्तक में खुलासा
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लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा से कम रहा है। लेकिन मुस्लिम महिला सदस्यों की संख्या बहुत कम रही है और आजादी के बाद से केवल 18 मुस्लिम महिलाएं ही संसद के निचले सदन में पहुंच सकी हैं। इनमें से 13 राजनीतिक परिवारों से हैं। एक नयी पुस्तक में इस बात का खुलासा हुआ है।इन मुस्लिम महिलाओं की कहानी 'मिसिंग फ्रॉम द हाउस - मुस्लिम वीमेन इन द लोकसभा' में लिखी गई है। यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई और अंबर कुमार घोष ने लिखी है। किदवई कहते हैं कि वह निचले सदन में पहुंचने वाली 20 मुस्लिम महिलाओं का विवरण अपनी पुस्तक में दर्ज करना चाहते थे, लेकिन उनमें से दो महिलाएं -सुभासिनी अली और आफरीन अली - ने स्पष्ट तौर पर दावा किया था कि वे इस्लाम का पालन नहीं करती हैं।

किदवई और घोष ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि देश में 1951-52 में हुए पहले संसदीय चुनावों के बाद से केवल अठारह मुस्लिम महिलाएं ही लोकसभा में पहुंच पाई हैं। उनका कहना है कि यह एक चौंकाने वाला और निराशाजनक आंकड़ा है, क्योंकि भारत की 146 करोड़ की आबादी में मुस्लिम महिलाओं की संख्या लगभग 7.1 प्रतिशत है। इस पुस्तक के मुताबिक, 2025 तक गठित 18 लोकसभाओं में से पांच बार ऐसा हुआ, जब लोकसभा में एक भी मुस्लिम महिला सदस्य नहीं चुनी गई। इस पुस्तक का प्रकाशन जगरनॉट द्वारा किया गया है और अगले महीने इसका विमोचन किया जाएगा।

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