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आरोप लगाने वाले शपथपत्र दें या देश से माफी मांगें : सीईसी

चुनाव आयोग ने ‘वोट चोरी’ के आक्षेप को बताया निराधार
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार। प्रेट्र
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मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को राहुल गांधी सहित अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों को खारिज करते हुए संविधान के प्रावधानों और चुनावी कानूनों की धाराओं का हवाला दिया। कुमार ने अपने 85 मिनट के संवाददाता सम्मेलन में कहा, विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी त्रुटियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं।

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर पूछे गए सवालों के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, ‘क्या निर्वाचन आयोग को शिकायतकर्ता द्वारा शपथपत्र दिए बिना 1.5 लाख मतदाताओं को नोटिस जारी करना चाहिए?’ उन्होंने कहा कि अगर सात दिन के भीतर शपथपत्र नहीं दिया जाता, तो दावे निराधार और अमान्य माने जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि निराधार आरोप लगाने वालों को देश से माफी मांगनी चाहिए।

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि कई दलों की शिकायतों और देश के भीतर मतदाताओं के प्रवास के मद्देनजर नवीनतम एसआईआर आवश्यक हो गया था। उन्होंने कहा, ‘जाने-अनजाने में, प्रवास और अन्य समस्याओं के कारण कुछ लोगों के पास कई मतदाता पहचान पत्र हो गए... यह एक मिथक है कि बिहार में एसआईआर जल्दबाजी में किया गया। हर चुनाव से पहले मतदाता सूचियों में सुधार करना निर्वाचन आयोग का कानूनी कर्तव्य है।’

कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचन आयोग भेदभाव नहीं करता, उसके लिए सत्तारूढ़ और विपक्षी दल समान हैं। उन्होंने कहा कि दोहरे मतदान और वोट चोरी के निराधार आरोपों से न तो आयोग डरता है और न ही मतदाता। कुछ लोगों द्वारा खेली जा रही राजनीति की परवाह किए बिना आयोग सभी वर्गों के मतदाताओं के प्रति दृढ़ रहेगा। उन्होंने सवाल किया, ‘चुनाव प्रक्रिया में एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं। क्या इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में वोट चोरी हो सकती है?’

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी कहा कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है।

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