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मसूरी में हुए थे एक, पहलगाम में जुदा

करनाल (परवीन अरोड़ा) : मसूरी के खूबसूरत नजारों के बीच 16 अप्रैल को ड्रीम डेस्टिनेशन वेडिंग और 22 अप्रैल को पहलगाम में भीषण आतंकी हमला। भारतीय नौसेना के 26 वर्षीय अधिकारी, लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की दुनिया महज छह दिनों में...
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करनाल (परवीन अरोड़ा) :

मसूरी के खूबसूरत नजारों के बीच 16 अप्रैल को ड्रीम डेस्टिनेशन वेडिंग और 22 अप्रैल को पहलगाम में भीषण आतंकी हमला। भारतीय नौसेना के 26 वर्षीय अधिकारी, लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की दुनिया महज छह दिनों में खत्म हो गयी।

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मूल रूप से जिले के भुसाली गांव के विनय नरवाल वर्तमान में करनाल के सेक्टर-7 में रह रहे थे। एक सप्ताह पहले ही गुरुग्राम की हिमांशी से शादी की थी, जो किसी परीकथा से कम नहीं थी- पहाड़ों, फूलों, दोस्तों और परिवार से घिरी हुई। इस जोड़े का रिसेप्शन 19 अप्रैल को करनाल में हुआ। ढेरों खुशियों के बीच भविष्य के सपने बुन रहा नवविवाहित जोड़ा जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत घाटियों में हनीमून के लिए निकल पड़ा।

वह 21 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे। एक दिन बाद ही त्रासदी हो गयी। पत्नी के हाथों से शादी की मेहंदी भी अभी उतरी नहीं थी कि आतंकवादियों ने विनय की हत्या कर दी। हिमांशी हमले में बच गयीं, लेकिन बेहद सदमे और असहनीय दुःख में हैं। उनकी प्रेम कहानी, जो अभी शुरू ही हुई थी, एक पल में बिखर गयी। कोच्चि में तैनात विनय अपनी शादी के लिए छुट्टी पर थे और बुधवार शाम ताबूत में घर लौटे।

परिवार के सदस्यों के अनुसार, विनय ने हनीमून के लिए स्विट्जरलैंड जाने की योजना बनाई थी। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दंपति का वीजा मंजूर नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने पहलगाम को विकल्प के रूप में चुना। विनय के दादा और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हवा सिंह नरवाल ने रोते हुए कहा, ‘मेरा पोता और उसकी पत्नी स्विट्जरलैंड जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उनका वीजा मंजूर नहीं हुआ।’

विनय के पिता राजेश नरवाल सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट में सुपरिंटेंडेंट हैं और पानीपत में तैनात हैं। उनकी मां आशा नरवाल गृहिणी हैं और छोटी बहन सृष्टि पीएचडी कर रही हैं।

विनय की हत्या की दुखद खबर ने परिवार पर वज्रपात की तरह प्रहार किया। उस समय, परिवार के सदस्य पड़ोसियों को शादी की मिठाइयां बांट रहे थे, शादी का जश्न जारी था। एक पड़ोसी ने भरी आंखों के साथ कहा, ‘हर कोई बहुत खुश था और हम माता का जागरण करवाने की योजना बना रहे थे। लेकिन हमारे सारे सपने टूट गये।’

एक रिश्तेदार ने बताया कि पहलगाम पहुंचने के बाद परिवार ने दंपति से वीडियो कॉल पर बात की थी। विनय और हिमांशी अपने जीवन के नये अध्याय को लेकर उत्साहित थे, उन्हें नहीं पता था कि कश्मीर के ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाले बैसरन इलाके में गोलियों की बौछार से यह अध्याय समाप्त हो जाएगा।

विनय के दादा, जो दिल के मरीज हैं, लगातार रो रहे हैं। मां आशा से शुरू में यह खबर छिपाई गयी, लेकिन सच्चाई ज्यादा देर तक नहीं छुप सकी। अब वह अपने इकलौते बेटे को याद करते हुए बेहोश हो जाती हैं।

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